पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मानें तो 11 किमी भैंसरोडगढ़ कोटा-लाखेरी, 9 किमी रावतभाटा- गांधी सागर रोड, 11 किलोमीटर एकलिंगपुरा चेचट रोड, 3.10 किमी भैंसरोडगढ़ से भवानीपुरा, 9.25 किमी सिंगोली रतनगढ़ रोड से मेघनिवास गिरडिया, 5.05 किमी टाकरा से शम्भूपुराजी का खेड़ा, 1.70 किमी पेराफेरी रोड से आम्बा वाया बस्सी व 39.50 किमी रावतभाटा- जवाहरनगर रोड क्षतिग्रस्त हुई है। इन सड़कों की लम्बाई 89.6 0 किमी है। इनका विभाग की ओर से 58 लाख 16 हजार रुपए का प्रस्ताव बनकर भेज दिया है। इन सड़कों पर जगह-जगह पर गड्ढे हो गए हैं। ऐसे मेें वाहनों को आने जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ताा है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि लगातार हुई बारिश से सड़कों पर पानी भर गया, जिससे सड़कें पोली हो गई। जैसे ही इन सड़कों से वाहन निकले तो सड़कें नीचे बैठ गई, जिससे उनमें गहरे-गहरे गड्ढे हो गए।
1 करोड़ 44 लाख की 15 पुलियाएं क्षतिग्रस्त
बारिश से 1 करोड़ 44 लाख 50 हजार रुपए की 15 पुलियाएं क्षतिग्रस्त हुई है। 4 पुलियाएं रावतभाटा- जवाहरनगर रोड पर क्षतिग्रस्त हुई है। 2 एकलिंगपुरा-चेचट रोड, 2 भैंसरोडगढ़ कोटा लाखेरी रोड, 3 पुलियाएं पेराफेरी सड़क से कोलपुर वाया मंडेसरा क्षतिग्रस्त हुई हैं। इसी तरह से 1-1 पुलिया सिंगोली रतनगढ़ सड़क से गिरडिया वाया मेघनिवास, पेराफेरी रोड से आम्बा वाया बस्सी, अपरोज रोड बरखेड़ा व आगरा से कृपापुरा पुलिया क्षतिग्रस्त हुई है।
60 किमी की मरम्मत करेंगे ठेकेदार
60 किमी ऐसी सड़क हैं, जिनमें गारंटी अवधि खत्म होने से पहले ही जगह-जगह पर गड्ढे हो गए। उक्त सड़कों की मरम्मत का कार्य ठेकेदार करेंगे। पीडब्ल्यूडी की ओर से इसका भुगतान ठेकेदार को नहीं दिया जाएग। यदि नई सड़क का निर्माण कराया जाता है तो उसकी गारंटी अवधि पांच साल होती है। 5 साल से पहले सड़क टूट जाती है तो संबंधित ठेकेदार सड़क का निर्माण अपने स्तर पर कराता है। इसी तरह से जिन सड़कों पर केवल डामरीकरण हुआ है। उन सड़कों की अवधि 3 साल होती है। यदि इससे पहले सड़क टूट जाती है तो इसकी मरम्मत भी ठेकेदार कराता है।
इस तरह से भेजा प्रस्ताव
जो सड़क 12 फीट चौड़ी है। उस सड़क 60 हजार रुपए प्रतिकिमी मरम्मत का प्रस्ताव भेजा गया है। इसी तरह से जो सड़क साढ़े पांच मीटर चौड़ी है। उसका 1 लाख रुपए प्रतिकिलोमीटर के हिसाब से प्रस्ताव भेजा गया है।
समर ब्रिज भी क्षतिग्रस्त
लगातार बारिश होने से राणा प्रताव सागर बांध के गेट खोल दिए गए थे। ऐसे में समर ब्रिज पर पानी की चादर चलना शुरू हो गई। ब्रिज के ऊपर पानी की आवक हो रही थी। इससे ब्रिज का काफी हिस्सा दोनों तरफ से क्षतिग्रस्त हो गया। इसका एक प्रस्ताव बनाकर उचाधिकारियों को भेजा गया था। उक्त ब्रिज का निर्माण राणा प्रताप सागर डेम से पहले कराया था।