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पत्थरों का सीना चीर, कर दी हरियाली

locationकोटाPublished: Jun 30, 2022 12:51:17 pm

Submitted by:

santosh

नेशनल हाइवे के दोनो तरफ विकसित हो रहा जंगल, शहर के कई संगठन कर रहे भागीदारी । 740 हेक्टेयर क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा पौधे लगाए, इस मानसून में 60 हजार से ज्यादा पौधे लगाने का लक्ष्य ।

Green plants and Fresh Air

Green plants and Fresh Air

जयप्रकाश सिंह
शहर के समीप से गुजर रहे राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ पठारी क्षेत्र की सूरत बदलने लगी है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली शहर की आधा दर्जन संस्थाओं ने वन विभाग के साथ मिलकर यहां पत्थरों का सीना चीरकर चारों तरफ हरियाली कर दी। रावतभाटा रोड पर आंवली-रोझड़ी से लेकर उम्मेदगंज नहर तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर करीब 15 किलोमीटर क्षेत्र में पौधारोपण कार्य छह साल पहले शुरू हुआ था। राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों तरफ एक किलोमीटर दूरी में कुल दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वन विभाग ने तीन लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।

25 करोड़ होंगे खर्च : वन विभाग ने पौधारोपण के साथ ही इनकी सुरक्षा के लिए चारों तरफ चारदीवारी बनाई है। इस पर करीब 25 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। वन विभाग नियमित रूप से टैंकर से पौधों को पानी पिला रहा है। इस प्रयास से वन भूमि पर अतिक्रमण पर अंकुश भी लगा है।
ये पौधे लगाए : नीम, शीशम, चुरेल, बरगद, पीपल खैर, पलाश, धाक, रांज,कुमठा के पौधे शामिल हैं। इसके अलावा जंगल के लिए कई तरह की घास, वनस्पति और झाडिय़ां भी उगाई गई है।

दो एनिकट की योजना
वन विभाग क्षेत्र में गुजर रहे भड़क्या खाळ में दो एनिकट बनाने की योजना बना रहा है। इससे जलस्तर बनेगा, पेड़-पौधों को पानी पिलाने में सहूलियत( Convenience) रहेगी।
पत्थरों में ब्लास्ट कर गड्ढे खोदे
पथरीली जमीन होने के कारण यहां पौधे लगाना चुनौतीपूर्ण था। वन विभाग ने यहां पत्थरों में विस्फोट कर एक गुणा एक वर्गमीटर के गहरे और चौड़े गड्ढे खुदवाए और उसमें उपजाऊ मिट्टी भरवाई। इसके बाद पौधे लगाए गए। इस तरह की तकनीक प्रदेश में जोधपुर के माचिया बायोलोजिकल पार्क में भी अपनाई गई है।
स्वयंसेवी संस्थाओं ने गोद लिया
वनविभाग ने इस जमीन पर वर्ष 2016 से विभिन्न टुकड़ों में पौधारोपण शुरू किया गया। विभाग ने शहर की हमलोग, गायत्री परिवार, कोटा यूथ सोसायटी, गणेशनगर उद्यान समिति, कोटा सिटी ब्लॉग समेत विभिन्न संस्थाओं को इन पौधों के रखरखाव की जिम्मेदारी दी। पिछले दो साल में इस इलाके में पथरीली जमीन की जगह हरियाली नजर आने लगी है।
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