script..अब तो मंगलसूत्र बचा कर बैठे हैं | sahitya kumbh in kota | Patrika News
कोटा

..अब तो मंगलसूत्र बचा कर बैठे हैं

साहित्य कुंभ में जयपुर, हाड़ौती के साहित्यकारों ने किया काव्यपाठ
 

कोटाJul 23, 2018 / 12:52 am

shailendra tiwari

kota news

..अब तो मंगलसूत्र बचा कर बैठे हैं

कोटा. कलमकार मंच, भारतेन्दु समिति की ओर से रविवार को बसंत विहार स्थित माहेश्वरी भवन सभागार में साहित्य कुंभ का आयोजन किया गया। इसमें हाड़ौती सहित जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकारों, कवियों, पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रचनाधर्मियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि नागरिक सहकारी बैंक अध्यक्ष राजेश बिरला रहे। अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ महासचिव ईशमधु तलवार ने की। करीब चार घंटे तक चले आयोजन में 30 से अधिक रचनाकारों, साहित्यकारों ने विभिन्न विषयों पर काव्यपाठ किया।
1.30 करोड़ खर्च, फिर भी टपक रही छतें


मंच संचालन कर रहे साहित्यकार रामनारायण हलधर ने ‘लहसुन से हम आस लगाए बैठे हैं, घर-घर में बारूद बिछाए बैठे हैं, कंगन, बिछिया, पायल ऋण में डूब गए, अब तो मंगलसूत्र बचाए बैठे हैं… रचना सुनाकर हाड़ौती के लहसुन किसानों की पीड़ा को बयां किया। वरिष्ठ गीतकार दुर्गादान सिंह गौड़ ने ‘वह कहवै छै असी छै राधा, ये कहवै छै वसी छै राधा, काती का तड़काव की चांदणी जसी छै राधा, सूरदास का पद सूं पूछो, जाणे कसी-कसी छै राधाÓ गीत सुनाकर माहौल को भक्तिमय किया।
अस्पताल में दिखा अंधविश्वास का नजारा

अरविंद सोरल ने ‘ये शहर अब बड़ा हो गया है’ कविता सुनाकर दाद पाई। मुकुट मणिराज ने मौसम आधारित काव्यपाठ किया, ओम नागर ने पिता पर मार्मिक कविता सुनाई। अम्बिकादत्त चतुर्वेदी, अतुल चतुर्वेदी आदि ने भी काव्यपाठ किया। संयोजक निशांत मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया।

Home / Kota / ..अब तो मंगलसूत्र बचा कर बैठे हैं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो