बीमारी के बावजूद डटे लैब में सबसे बड़ा योगदान माइक्रोबायलॉजी विभाग के इंचार्ज डॉ. घनश्याम सोनी का है। वे कैंसर से पीडि़त है। दो बार गले का ऑपरेशन हो चुका है। अब तीसरा बार ऑपरेशन हुआ है। लैब में दिन-रात काम करते हुए उन्होंने शरीर की भी परवाह नहीं की है। उनके प्रयासों से 2009-10 में लैब में पहली आरटीपीसीआर मशीन स्थापित हुई। लैब में आज छह आरटीपीसीआर जांच की मशीनें हो चुकी है। मशीनें इन दिनों दिन-रात काम कर रही है। लैब में बीते 23 मार्च 2020 से अनवरत सैम्पल टेस्टिंग का काम चल रहा है।
रात-रात जाकर करते रिपोर्टिंग आरटीपीसीआर लैब नोडल ऑफिसर डॉ. दिनेश वर्मा बताते है कि लैब में इन दिनों रोजाना 4 से 6 हजार सेम्पल आ रहे है। इतने सैम्पलों की समय पर रिपोर्ट देना चुनौती होता है। बावजूद रात-रात जागकर समय पर रिपोर्ट प्रदान कर रहे है। कई बार सैम्पल अधिक होते है तो उन्हें जयपुर भिजवाना होता है। वहां से समय पर रिपोर्ट मंगवाने का काम होता है। इन सैम्पलों की रिपोर्ट माइक्रोबायलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन सक्सेना के पास जाती है। उनका बेहतर मार्गदर्शन मिलता है। उसके बाद रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना व अन्य अधिकारियों के पास पहुंचती है। रिपोर्टिंग के मामले में कोटा प्रदेश में दूसरे पायदान पर है।
ये टीमें कर रही काम टीम ए- इंचार्ज डॉ. हरिनंदन, डॉ. दीपमाला टीम बी- इंचार्ज डॉ. मीनु मीणा, डॉ. सौरभ शर्मा टीम सी- इंचार्ज डॉ. प्रद्युमन, डॉ. दानिश अफरीदी
सहायक टेक्निशियन इंचार्ज प्रमोद कुमार शर्मा टेक्निशियन सुरेश मोरवाल टीम का संदेश जनता कोरोना जैसी महामारी की गंभीरता को समझे। हम अपने परिवार को समय नहीं दे पा रहे है, लेकिन आप घर पर रहकर परिवार के साथ रहकर इस महामारी को हराने में हमारा सहयोग करें। क्योंकि इस बीमारी को हराने के लिए जनता को निर्णायक भूमिका निभानी होगी, तभी हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर सकेंगे।