कोटा

बलात्कार के आरोपी को बचाने के लिए सरपंच ने पार कर दी सारी हदें…गांव से परिवार का वजूद ही मिटा दिया…

बालिका से बलात्कार के चार वर्ष पुराने मामले में कनवास सरपंच की ओर से बालिका के परिजनों की गांव में…

कोटाMar 01, 2019 / 09:59 pm

Suraksha Rajora

rape

कोटा. बालिका से बलात्कार के चार वर्ष पुराने मामले में कनवास सरपंच की ओर से बालिका के परिजनों की गांव में 10-12 वर्ष से गैरमौजूदगी के प्रमाण पत्र को पोक्सो न्यायालय क्रम-2 ने आड़े हाथों लिया। न्यायालय ने इस मामले में घोर लापरवाही बरतते हुए मिथ्या प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में सरपंच को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देने के आदेश दिए। न्यायालय ने सरपंच पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जवाब दें कि आपके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए।
 

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पुलिस ने बताया कि कनवास थाने में 4 जुलाई 2015 को कनवास की टापरिया निवासी एक जने ने दर्ज करवाई रिपोर्ट में बताया कि 23 जून 2015 को उसकी 13 वर्षीय बालिका गांव में एक जने के यहां छाछ लेने गई थी। इसके बाद शाम तक वह नहीं लौटी। इस पर उसकी काफी तलाश की, लेकिन वह नहीं मिली। इस पर उसने मामले में बालापुरा निवासी पप्पू बैरवा के खिलाफ बालिका के अपहरण का मामला दर्ज करवाया। इस पर पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की तथा बालिका को दस्तयाब कर आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अपहरण, बलात्कार व पोक्सो एक्ट के तहत का मामला दर्ज किया।
 

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इस मामले में न्यायालय में आरोपी पक्ष की ओर से ग्राम पंचायत कनवास के सरपंच नवल किशोर मीणा का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया। जिसमें सरपंच ने बालिका के परिजनों को गांव में करीब 10-12 वर्ष से गैरमौजूद बताया। जबकि 2015 में मामला दर्ज हुआ। कनवास पुलिस ने मामले की जांच की तथा गवाहों ने अपने बयान में भी मामले की पुष्टि की।
इस पर सरपंच की ओर से जारी प्रमाण पत्र को न्यायालय के विशेष न्यायाधीश गिरीश अग्रवाल ने मिथ्या मानते हुए नोटिस जारी किया। जिसमें न्यायालय ने सरपंच के प्रमाण पत्र जारी करने में घोर लापरवाही बरतते हुए इसे जारी करना बताया। न्यायालय ने सरपंच को 12 मार्च को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई करने का जवाब तलब किया है।

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