श्रमदान में सूरज की पहली किरण के साथ ही लोगों का कारवां जुटना शुरू हो गया। और देखते ही देखते युवाओं की भीड़ जुट गई। गांव के युवाओं के साथ समाजसेवी संस्था सदस्यों ने भी पत्रिका अमृतं जलम अभियान के तहत श्रमदान कर श्रम साधना से बावड़ी को चकाचक कर दिया। श्रमदान सुबह 8 बजे शुरू हुआ जो कि पूरे 3 घण्टे तक चला। इस मौके पर किसी ने बावड़ी की सीढिय़ों पर जमा गन्दगी हटाई तो किसी ने पानी में फैली गदंगी को बाहर निकाला।
रियासत के जमाने की बावड़ी गांववासियों ने बताया कि गांव में स्थित बावड़ी राजा उम्मेदसिंह के काल की है। उन्हीं के नाम से गांव का नाम उम्मेदपुरा पड़ा। उन्होंने बताया कि बावड़ी के पानी के भीतर शिव परिवार की मृर्तियां स्थापित है जब कभी बावड़ी में पानी कम होता है तब ही वह दिखाई देती है, लेकिन अनदेखी के चलते बावड़ी दुर्दशा की शिकार हो रही है।
इन्होंने दी श्रमदान यज्ञ में आहुति श्रमदान में गांववासी बृजमोहन मेघवाल, रामस्वरूप, सत्यनारायण गोचर, प्रेमशंकर मेघवाल, लोकेश गोचर, रामबिलास, दिलकुश, कौशल चांदसी, विनोद, महेन्द्र, निरंजन जैन, महेन्द्र गोचर, कालू, रमेशचन्द, दिलीप सनाढ्य, भाजपा युवा मोर्चा दीगोद मंडल अध्यक्ष मोनू सनाढ्य, दिल की हेल्पलाइन संस्था सदस्य चैतन्य प्रसाद नंदवाना, जगमोहन नागर, निहाल गोचर, कृष्णा मेघवाल, बंटी, नंदबिहारी, सत्यनारायण समेत कई बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने श्रमदान कर परम्परागत प्राचीन जलस्त्रोतों की सारसंभाल का संकल्प लिया।
साफ़ नजर आने लगा पानी, जल संरक्षण का लिया संकल्प जिले के इटावा में भी राजस्थान पत्रिका के अमृतं जलम अभियान के तहत रविवार को क्षेत्र के आना सागर धार्मिक स्थान पर बावड़ी की सफाई की गई। इसमें जिला परिषद सदस्य सीताराम नागर, चेन्जमेंकर सोहन नागर, वार्ड पंच दीनदयाल पारेता, ओमप्रकाश, दीनदयाल नागर, गणपत लाल, गिराज नागर, बिरधी लाल, मुकेश बैरवा सहित अनेक लोगों ने सहयोग किया। बावड़ी के पानी में पड़ी गन्दगी की सफाई होने से बावड़ी का पानी साफ नजर आने लगा। इस मौके पर ग्रामीणों ने पत्रिका के कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए जल संरक्षण का संकल्प भी लिया।