स्टडी के मुताबिक, कुन्हाड़ी और बारां रोड पर कार्बन मोनो ऑक्साइड का लेवल पांच से ज्यादा था। यानी इस वातावरण में रह रहे लोग बिना धूम्रपान किए बिना ही पांच सिगरेट के बराबर का धुआं ग्रहण कर रहे हैं। जबकि गुमानपुरा और एरोड्राम सर्किल के आसपास के दुकानदारों में यह स्तर दो से भी कम मिला है। एेसे में कुन्हाड़ी और बारां रोड के आसपास के रहवासियों में अस्थमा का खतरा ज्यादा है।
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श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. केवल कृष्ण डंग ने कुन्हाड़ी व गुमानपुरा के लोगों में 150 दुकानदारों पर यह स्टडी की है। इनमें बराबर अनुपात में तीन श्रेणी के लोग शामिल थे। जिनमें ध्रूमपान करने, नहीं करने और मॉल वाले दुकानदार है। डॉ. डंग ने बताया कि कुन्हाड़ी क्षेत्र में गुमानपुरा से एरोड्राम से 18 फीसदी ज्यादा एलर्जिक प्रॉब्लम जैसे स्कीन, नाक, आंखों में खुजली व खांसी मिली है।
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मौसम बदलने पर खांसी हो तो… डॉ. डंग ने एक अन्य स्टडी 200 अस्थमा पीडि़त बच्चों पर की है। इनमें 75 फीसदी लड़के थे। साथ ही 90 फीसदी बच्चों में मौसम बदलने पर खांसी या बार-बार खांसी होने की शिकायत मिली। जबकि 51 फीसदी बच्चों में ही सांस भरने के लक्षण मिले हैं। साथ ही 64 फीसदी बच्चों में दूसरे बच्चों के मुकाबले खेलते समय जल्दी थकने की शिकायत थी। इस शोध में आया कि 2 साल तक मां का दूध पीने वाले 38 फीसदी बच्चों में अस्थमा कम मिला है।