जिला प्रमुख के निजी सहायक 25000 रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार इसके अलावा शेष तस्कर रेल, बस व पैदल या अन्य साधनों से तस्करी करते पकड़े गए। हाड़ौती में तस्करी के लिए कुछ वर्षों पहले तक चौपहिया व दुपहिया वाहन तस्करों की पहली पसंद थे, लेकिन दो सालों में यह चलन बदला है। तस्कर अब ट्रेनों, बसों से व पैदल चलकर भी तस्करी कर रहे हैं।
दो सालों के शुरूआती 11 माह की कार्रवाई देखें तो दोनों वर्षों में पुलिस ने 801 प्रकरणों में 1054 तस्करों को पकड़ा। इसमें खास बात यह है कि तस्करी में इस्तेमाल वाहनों की कुल संख्या 52 ही थी। यह महज सात फीसदी के आसपास है। दोनों वर्ष 26-26 वाहन पकड़े गए।
ज्यादातर ट्रेन में पकड़े
हाड़ौती में तस्करी के मामलों में पकड़े जा रहे अधिकांश तस्कर ट्रेन में पकड़े जा रहे है। जहां अधिकांश मामलों में जीआरपी-आरपीएफ इन्हें दबोच रही है। ट्रेनों में भीड़ के बीच तस्करों को आसानी रहती है। आमतौर पर वे इसका लाभ उठाने के लिए सामान्य कोच का इस्तेमाल करते है। स्लीपर या अन्य श्रेणी के कोच में टिकट के साथ यात्री की पूरी जानकारी होती है।
बारां-झालावाड़ संवेदनशील
तस्करी के लिए झालावाड़ के भवानीमंडी, चौमहला, डग, अकलेरा व बारां जिले में छबड़ा व छीपाबड़ौद संवेदनशील हैं। दोनों ही क्षेत्र अफीम उत्पादक हैं। इसके अलावा हाड़ौती से सटे चित्तौडगढ़़ व प्रतापगढ़ जिले व मप्र के मंदसौर व नीमच से भी तस्करी होती है।& तस्करी के खिलाफ पुलिस लगातार अभियान चला रही है।
लगातार दबिश, गश्त व नाकाबंदी से भी तस्करों की गिरफ्तारी बढ़ी है। तस्करों से निशानदेही पर अफीम का कारोबार चलाने वालों पर भी नकेल कसी जा रही है। तस्कर ट्रेंड बदल रहे हैं। पुलिस भी इसी अनुसार कार्रवाई कर रही है।
रवि दत्त गौड़, उप महानिरीक्षक, कोटा रेंजकार
11 माह में 457 मामले, 602 गिरफ्तार