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कोटा

पत्रिका के चेताने पर भी नहीं जागा MBS प्रशासन अब जुगाड़ ने भी खड़े किए हाथ, मरीजों पर संकट

कोटा. कोटा संभाग के सबसे बड़े अस्पताल एमबीएस में मरीजों पर संकट आ गया है। पत्रिका ने इसके लिए पहले ही चेताया था।

कोटाDec 02, 2017 / 06:05 pm

abhishek jain

MBS Hospital Kota
कोटा .

कोटा संभाग के सबसे बड़े अस्पताल एमबीएस में जुगाड़ से चल रही तीनों सोनोग्राफी मशीने ठप हो गई है। तीनों मशीनों ने काम करना बंद कर दिया है। इसके चलते दो दिन से मरीजों की सोनोग्राफी जांच नहीं हो रही है। मरीज जांच के लिए भटक रहे है। अस्पताल प्रशासन की बेरुखी इतनी है कि वैकल्पिक तौर पर कोई व्यवस्था भी नहीं की हुई है। इस कारण मरीजों की लम्बी कतार लगी है। जिन मरीजों का शुक्रवार व शनिवार को नम्बर था। उन्हें बिना जांच कराए ही लौटना पड़ रहा है। जिन मरीजों की एमरजेंसी है, उन्हें बाहर से लैबों से सोनोग्राफी जांच करवानी पड़ रही है।
मरीजों पर आर्थिक संकट, 600 रुपए का फटका

एमबीएस अस्पताल में वैसे तो मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना में नि:शुल्क हो जाती है, लेकिन लैबों में एक सोनोग्राफी जांच के लिए मरीज के 600 रुपए लग रहे है।
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राजस्थान पत्रिका ने चेताया था

राजस्थान पत्रिका ने 23 सितम्बर व 20 नवम्बर को एमबीएस व जेके लोन अस्पतालों में जुगाड़ से चल रही सोनोग्राफी मशीनों के कभी भी बंद होने को लेकर समाचार प्रकाशित किया था, लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा सुधार के कोई प्रयास नहीं किए गए। हालात यह हो गए है कि एमबीएस अस्पताल की तीनों सोनोग्राफी मशीनें एक-एक कर बंद हो गई है। वैकल्पिक तौर पर कोई व्यवस्था भी नहीं की गई है। इसके चलते मरीजों को मजबूरन बाहर का रास्ता देखना पड़ रहा है।
ऐसे चल रहा था जुगाड़ से कामएमबीएस अस्पताल में सोनोग्राफी की तीन मशीनें है। इनमें से दो पिछले दो माह से बंद पड़ी है। दूसरी मशीन में अलग- अलग क्रॉप लगते है, लेकिन एक ही से काम चलाया जा रहा था। उस क्रॉप को भी टेप बांधकर चलाया जा रहा था, लेकिन तीसरी मशीन भी शुक्रवार को अचानक खराब हो गई। चिकित्सकों ने बताया कि इन मशीनों के पाटर्स की तलाश उन्होंने स्थानीय बाजार में की थी, लेकिन इनके पाटर्स नहीं मिल रहे। कम्पनी ने इन मशीनों को बनाना ही बंद कर दिया है। इस कारण कम्पनी ने इन्हें ठीक करने से हाथ खड़े कर दिए है।
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प्रतिदिन होती 40 से 45 सोनोग्राफी

एमबीएस की ही माने तो प्रतिदिन यहां 40 से 45 सोनोग्राफी जांच होती है। इनमें से आईपीडी व इमरजेंसी के ही मरीजों की सोनोग्राफी की जाती है। आउटडोर मरीजों को 10 दिन बाद की तिथि दे रहे हैं। इन तिथियों में भी सोनोग्राफी हो जाए, इसकी गारंटी नहीं है।
सेडियोडायग्नोसिस सह आचार्य डॉ. धर्मराज मीणा का कहना है कि बूंदी में सिलिकोसिस कैंप में होने के कारण एमबीएस अस्पताल में सोनोग्राफी मशीनों की खराबी के बारे में पता नहीं है। मशीनों को जल्द ठीक करवाएंगे।
एमबीएस अस्पताल अधीक्षक डॉ. पीके तिवारी का कहना है कि अस्पताल के लिए आरएमआरएस से 20 लाख की नई मशीन के लिए हमने ऑर्डर कर दिए है। प्रिंसिपल भी जेके लोन अस्पताल के लिए नई मशीन खरीद रहे है। सरकार से भी नई मशीन खरीद की मांग की है। मशीन को ठीक करने के लिए मैकेनिक को बुलाया था।

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