किन्नर यानि ट्रांसजेंडर… जिनकी रहस्यमयी दुनिया हमेशा से कौतुहल का विषय रही है, लेकिन यही इस खास लिंगाधारित लोगों की मुसीबत का सबब भी रहा है। समाज में इनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। जिसके चलते यह सिर्फ परम्परागत काम बधाइयां देने या फिर जीविकोपार्जन के लिए भीख मांगने जैसे कामों तक सीमित होकर रह गए हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सरकार ने इनकी सुध ली है और मुख्य धारा से जोड़ने के लिए किन्नरों का खास पहचान पत्र बनाया जाएगा। सरकार ने इसके लिए जिला स्तरीय समिति भी गठित कर दी है। यह समिति तय करेगी कि जिले में रहने वाले सभी किन्नरों का विशेष पहचान पत्र (ट्रांसजेंडर कार्ड) बने और इसके साथ ही राशन कार्ड, वॉटर आईडी और आधार कार्ड भी बनाया जाए।
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शुरू हुआ सर्वे ट्रांसजेंडर कार्ड बनाने के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित की गई है। जिसमें समाजकल्याण विभाग अधिकारी और सीएमएचओ को सदस्य बनाया गया है। इस समिति की निगरानी में समाज कल्याण विभाग जिले में रहने वाले किन्नरों की संख्या, आर्थिक स्थित आदि का भी सर्वे कर रहा है। किन्नरों के लिए रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम शुरू करना, खास बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलवाना और अन्य परेशानी के वक्त मदद करने का काम भी यही समिति करेगी। किन्नरों के लिए शौंचालय भी बनवाए जाएंगे।
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उम्मीद को किरण किन्नरों की प्रधान काजल सरकारी योजनाओं से खासी खुश हैं। वह कहती हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना तो दूर की बात अभी तक तो हम पहचान तक के लिए मोहताज थे, लेकिन ट्रांसजेंडर कार्ड से इस समस्या का समाधान हो जाएगा। नकली किन्नरों पर भी रोक लगेगी। रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा की दिशा में सकारात्मक पहल है। वहीं समाज कल्याण विभाग की सहायक निदेशक सविता कृष्णिया कहती हैं कि ट्रांसजेंडर कार्ड जारी होने के बाद किन्नरों को उनकी पहचान मिल जाएगी। जिससे वह सभी सरकारी योजनाओं का फायदा उठा सकेंगे।