scriptEnvironment Day Special : ये माली, बंजर धरा पर खिला देते हैं हरियाली… | Special story on world environment day | Patrika News
कोटा

Environment Day Special : ये माली, बंजर धरा पर खिला देते हैं हरियाली…

पर्यावरण दिवस विशेष : मिलिए शहर में हरियाली के भगीरथों से

कोटाJun 05, 2019 / 08:47 pm

Rajesh Tripathi

kota news

Environment Day Special : ये माली, बंजर धरा पर खिला देते हैं हरियाली

कोटा. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, लेकिन मन में कुछ कर गुजरने का माद्दा हो तो फिर कोई बाधा हौसला पस्त नहीं कर सकती। पौधारोपण कर इसी तरह की कहानी को गढ़ रहे हैं छावनी रामचन्द्रपुरा निवासी गुलाबचंद मौर्य। मौर्य का पौधों और प्रकृति के प्रति प्रेम देखना है तो एक बार कोटा में डीसीएम रोड पर न्यू बस टर्मिनल के सामने नजर डालिएगा। 80 फीट रोड के किनारे लहलहाते पेड़ व पौधे ‘गुलाबÓ की ही मेहनत से खुशबू बिखेरते नजर आ रहे हैं। 71 वर्षीय मौर्य ने सड़क किनारे गत 4 वर्षों में 150 से अधिक पौधे लगाए हैं।
खाकी पर दाग : अवैध शराब की बंधी बंद होने के डर से
अपने ही साथी को करवा दिया लाईन हाजिर


कभी वर्कशॉप के मालिक रहे
मैकेनिकल इंजीनियर गुलाब बताते हैं कि सबसे पहले उन्होंने अपने वर्कशॉप परिसर में ही पौधे लगाए। हालांकि अब वर्कशॉप उन्होंने बेच दिया, लेकिन पौधे आज भी पेड़ बनकर छाया दे रहे हैं। इसके बाद वे अब तक 300 से अधिक पौधे लगा चुके हैं। इनमें से कोई 10 तो कोई 15 फीट का होकर छाया भी दे रहा है। बस स्टैंड के सामने पटरियों व 80 फीट चौड़ी सड़क के किनारे ही नहीं आसपास के अन्य इलाकों में भी उनके लगाए पौधे लहलहाते नजर आ जाएंगे।

खुद करते हैं ट्रीगार्ड तैयार
सिर्फ पौधे लगाना ही मौर्य का लक्ष्य नहीं, ट्रीगार्ड का बंदोबस्त भी खुद करते हैं। मैकेनिकल इंजीनियर मौर्य बताते हैं कि जालियों के ट्रीगार्ड खोने का डर रहता है, इसलिए बांस के ट्रीगार्ड बनाते हैं। घर में वे इन्हें विशेष तरीके से तैयार करते हैं। बांस के लिए रुपए भी खुद खर्च करते हैं। अब तक 50 से 60 हजार रुपए पेड़ों पर खर्च कर चुके हैं। उनके दो बेटे हैं एक योगेश बैंगलूरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर, दूसरा विनीत मुम्बई में बैंक मैनेजर है। इससे आर्थिक रूप से कोई परेशानी नहीं है।

होती है पीड़ा
मौर्य बताते हैं कि आज भी खुले में शौच से भारत मुक्त नहीं हो पाया है। पौध के पास, सड़क व पटरियों के किनारे गंदगी को देखते हैं तो पीड़ा होती है। कई लोग ट्री गार्ड ले जाते हैं। पार्क में पौधे लगाने का लक्ष्य भी मौर्य ने बनाया पर लिखित रूप में स्वीकृति के अभाव में नहीं लगा सके।

दो विचारों में से पौधारोपण का चयन
गुलाब मौर्य बताते हैं कि उनके दो विचार थे, एक तो गांव छबड़ा में खेत पर मंदिर का निर्माण, दूसरा जीवन में पौधे लगाने का एक लक्ष्य। आज के हालातों पर मंथन कर उन्होंने पौधारोपण को चुना। मौर्य बताते हैं कि मंदिर की सेवा तो हर कोई कर लेगा, पौधारोपण ज्यादा जरूरी है। वैसे भी भगवान मन में विराजमान हो तो कुछ सोचने की जरूरत नहीं, बस इसी विचार धारा के साथ पौधे लगाना शुरू कर दिया। अलग-अलग स्थानों के बाद उन्होंने रेल की पटरियों के किनारे खाली पड़ी जगह को लक्ष्य बनाया और 2015 में पौधे लगाना शुरू कर दिया। अब हर दिन सुबह वे 2 से 3 घंटे पेड़ पौधों के साथ बिताते हैं।

पौधे को पेड़ बनते देख होती खुशी
कोई पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाता है तो दर्द होता है। खुद के लगाए पौधे को बड़ा होता देखते हैं तो उस खुशी को जाहिर करना मुश्किल है। कुछ ऐसे ही है डॉ. एस सान्याल। विज्ञान नगर क्षेत्र में स्थित पंचवटी पार्क तो उनके पर्यावरण प्रेम का उदाहरण है ही, वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते जहां पौधारोपण या पर्यावरण संरक्षण की बात हो। विज्ञान नगर स्थित अपने आवास से लेकर पंचवटी पार्क और अन्य जगहों पर उनके द्वारा रौपे गए कई पौधे अब बड़े बनकर सुकून भरी छाव व मेहनत का फल दे रहे हैं। डॉ. सान्याल बताते हैं कि 23 अगस्त 2015 में अन्य लोगों के सहयोग से 22 पौधे लगाए थे। इनमें से अधिकतर अब दूर से नजर आने लगे हैं। इन्हें देखते हैं तो मन को जो खुशी होती है, उसे बयां नहीं किया जा सकता। डॉ. सान्याल बताते हैं कि जब पार्क को समिति ने गोद लिया तब हाल खराब थे। आज यहां सैकड़ों पौधे हैं और यह पार्क क्षेत्र के लोगों के लिए आकर्षण है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सान्याल बताते हैं कि खुद के जीवन से ऊपर उठकर भी जिंदगी में बहुत कुछ है। हो सकता है जो पौधे हमने लगाए उनकी छांव बेशक हमें मिले ना मिले, आने वाली पीढ़ी तो दुआएं देंगी। हर इंसान को कम से कम अपने घर के सामने पेड़ लगाना चाहिए।

Home / Kota / Environment Day Special : ये माली, बंजर धरा पर खिला देते हैं हरियाली…

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो