संविधान में बदलाव का विरोध आपको बता दें की एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग को देखते हुए तत्काल गिरफ्तारी पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बीते 2 अप्रैल को बांदा में दलित संगठनों ने धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया है। दलित संगठनों ने शहर के अंबेडकर पार्क में कई घंटे तक धरना देकर फैसले का विरोध भी किया था। राष्ट्रीय संगठन के लोगों का कहना था कि वह संविधान में बदलाव का विरोध करते हैं और दलित समाज के खिलाफ साज़िश कामयाब नहीं होने देंगे।
दलित समाज के लोगों ने भारत बंद का समर्थन करके सरकार से मांग की थी की सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को वापस ले। एससी/एसटी एक्ट को और मजबूत बनाया जाए और अनुसूचित जाती, जनजाति वर्ग के लोगों के ऊपर जो अत्याचार व उत्पीड़न हो रहे है, उनको तत्काल बंद किया जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ केन्द्र सरकार ने इसके समर्थन में कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिससे सामान्य जाती के लोग नाराज नजर आ रहे थे। सामान्य जाती के लोगों ने इस याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए सरकार की याचिका का विरोध करते हुए 10 अप्रैल को भारत बंद का एलान किया था।
शहर में निकाला जुलूस इसी क्रम में आज पूरे देश में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा समाज के लोगों और अन्य संगठनो ने प्रदर्शन किया और बाँदा में भी अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के कार्यकर्ताओं ने शहर में जुलुस निकालकर प्रदर्सन किया। दुकानें बंद कराई गयीं और इसके बाद कलेक्ट्रट में जाकर सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा।
क्षत्रिय महासभा के लोगों का कहना है कि सरकार जो आरक्षण दे रही है, वो जातिगत दे रही है। हम चाहते हैं की आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए, क्योंकि सामान्य जाति में भी दबे कुचले और कमजोर व्यक्ति हैं। उनको आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है और जो दलित जाती के लोग हैं, उनमे भी पूरी तरह संपन्न लोग हैं। उनको आरक्षण का लाभ मिल रहा है। उन्होंने ये भी कहा की हमारी मांग है की जो आर्थिक आधार पर कमजोर हो, उसको आरक्षण का लाभ दिया जाए।
जाति के आधार पर आरक्षण गलत जाति आधार पर नहीं दिया जाना चाहिए और जो केन्द्र सरकार द्वारा एससी/एसटी एक्ट के लिए पुनः याचिका दी गयी है, उसको वापस लिया जाना चाहिए। क्षत्रिय महासभा के लोगों ने बताया की उनके साथ-साथ अन्य सभी संगठनो के लोगो ने भी अपना विरोध प्रकट करते हुए बाँदा बंद का समर्थन किया है।