बिजलीघर के अधिशासी अभियंता विजय चौधरी बताते हैं कि वह गत ४ सालों से जवाहर सागर क्षेत्र स्थित पन बिजलीघर में कार्यरत हैं। पहले गर्मी में मार्च-अप्रेल में कर्मचारियों का भालू, जरख, सियार जैसे वन्यजीव से रास्ते में सामना हो जाता था। इससे वन्यजीवों से टकराव की आंशका व इससे कर्मचारियों को भय लगता था। इस कारण उन्होंने महसूस किया कि ये वन्यजीव पानी की तलाश में आते थे। गत वर्ष प्लांट से चार से पांच किलोमीटर की दूरी पर बोरकुई वन क्षेत्र में वाटर पॉइंट बनाकर इसमें पानी भरवाना शुरू किया। जब से पानी की व्यवस्था की है, तब से वन्यजीवों का रास्ते में आना बंद हो गया है।
पहाडियों से घिरा है जवाहर सागर वाइल्ड लाइफर बनवारी यदुवंशी बताते हैं कि जवाहर सागर डेम जो मुकुंदरा हिल्स की ऊंची पहाडि़यों के घिरा है। यहां एक छोटा सा गांव है। इसकी आबादी 400से 500 के आसपास है। इससे लोगों की आवाजाही रहती है। डेम पर पावर प्लांट में कर्मचारियों का भी आना-जाना लगा रहता है। रात में खतरा अधिक हो जाता है। रेंज ऑफिसर बिम्बाधर शर्मा बताते हैं कि वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध करवाना कर्मचारियों की अच्छी पहल है। वन्यजीव भोजन व पानी की तलाश में ही जंगल से बाहर निकलते हैं।
इधर, मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के उप वन संरक्षक टी. मोहन राज ने बताया कि आवश्यकता के अनुसार विभाग ने टाइगर रिजर्व में गागरोन, दरा, बोराबास व जवाहर सागर में चार वाटर पॉइंटों पर पानी की व्यवस्था की है। शेष स्थानों पर गत वर्ष हुई अच्छी बारिश पानी की समस्या नहीं आई है।