खरीद केन्द्र पर सरकार ने 48 घंटे में भुगतान का दावा किया। किसानों को भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में होना था, लेकिन हालत यह है कि 20-25 दिन बाद भी किसानों को बेची गई उपज का भुगतान नहीं मिल रहा। भुगतान को लेकर किसान कभी खरीद केन्द्र तो कभी अधिकारियों के पास चक्कर काट रहे हैं। केन्द्र अधिकारी भी भुगतान को लेकर जानकारी नहीं दे पा रहे हैं।
इन दिनों किसी को शादी-ब्याह के लिए पैसों की जरूरत है, किसी को अपना घर बनाना है।
किसी को सेठ-साहूकारों का कर्जा चुकाना है। किसानों को पैसों की जरूरत है, लेकिन भुगतान नहीं होने से कई किसान फिर सेठ-साहूकारों से कर्जा लेकर अपना काम चला रहे हैं। उनका कहना है कि समर्थन मूल्य पर उपज बेचने से तो अच्छा था बाजार में कम भाव पर ही बेच देते। कम से कम हाथ में पैसा तो होता।
यहां 20 मार्च से शुरू हुए समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र पर 688 किसानों की अब तक चने की 15672 क्विंटल तथा 98 किसानों की 2281 क्विटल उपज खरीदी जा चुकी है। 2 अप्रेल से शुरू हुई गेहूं की खरीद में 169 किसानों की 15496 क्विंटल उपज खरीद हुई है। इनमें चने में करीब छह सौ किसानों के लगभग सात करोड़ तथा गेहूं के डेढ़ सौ से अधिक किसानों के दो करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान नहीं किया गया है।