शुक्रवार को ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट ‘ग्राम’ में जुटे कृषि और पर्यटन विशेषज्ञों ने कोटा रीजन (हाड़ौती) में पर्यटन की संभावनाएं तलाशी। सत्र में मौजूद टूरिस्ट प्रमोटर्स और प्रगतिशील किसानों को संबोधित करते हुए सत्र की मुख्य वक्ता डॉ. अनुकृति शर्मा ने कहा कि खेतों को सैरगाह बनाने के लिए कोई बड़े निवेश की आवश्यक्ता नहीं है। सबसे पहले गांव और उसके आसपास के किसानों को मिलकर क्षेत्रीय विविधता के आधार पर उन्नत खेती को बढ़ावा देना होगा। इसके बाद अपने खेतों को स्थानीय संस्कृति और सभ्यता से जोड़कर लोगों के कुछ वक्त गुजारने लायक बनाना होगा। इसके बाद शुरू होता है सरकार का काम कि वह ऐसे नवाचारों को प्रमुखता से प्रचारित कर पर्यटकों को वहां तक आने के लिए आकर्षित करे।
कोटाः दुनिया का सातवां सबसे ज्यादा भीड़ भरा शहर
कोटा में नहीं है पर्यटकों का टोटा डॉ. शर्मा ने कहा कि कोचिंग संस्थान छात्रों की मानसिक थकान मिटाने के लिए खेतों के खूबसूरत, स्वस्थ्य और स्वच्छ वातावरण में लेकर जाएं तो सरकार को पर्यटकों की तलाश करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे और करीब इतने ही उनके परिजन यहां आते हैं। आधे लोग भी खेतों की सैर करने निकल आए तो हाड़ौती का किसान राजस्थान का सबसे मालदार किसान होगा।
‘ग्राम’ से पहले महाराष्ट्र में राजस्थान एग्री टूरिज्म की धूम
किसानों को सिखानी होगी ब्रांडिंग इस मौके पर सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने कहा कि पर्यटन का दूसरा नाम आकर्षण है। यदि प्रदेश का किसान तकनीकी मदद से अपनी फसल, उत्पाद को पेश करना, ब्रांडिग करना सीख जाए तो राजस्थान कृषि पर्यटन में भी अपनी धाक जमा सकता है।
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भरोसे से बदल सकती है तकदीर कृषि पर्यटन में नवाचार के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से दो बार सम्मानित हो चुके महाराष्ट्र के अग्रणी एग्री टूरिज्म प्रमोटर पांडुरंग तावड़े ने कहा शहरों में 43 प्रतिशत परिवार एेसे हैं, जिन्होंने कभी गांव ही नहीं देखा। ऐसे लोगों में वहां के जीवन को लेकर खासा कौतुहल रहता है। गांव तक सकुशल पहुंचने और कुछ नया देखने का भरोसा मिले तो एग्री टूरिज्म कोटा या राजस्थान ही नहीं पूरे देश के किसानों की तकदीर बदल सकता है।