इसकी भनक लगते ही थोड़ी ही देर में आसपास क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठे हो गए। सूचना पर जनसेवा संघर्ष समिति के अध्यक्ष अशोक पचेरवाल व अन्य पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे और मौजूद यूआईटी के जीइएन को स्कूल का रास्ता बंद नहीं करने का आग्रह किया।
लेकिन यूआईटी जेईएन सुनने को तैयार नहीं हुए। इस पर संघर्ष समिति के पदाधिकारी अशोक पचेरवाल के नेतृत्व में यूआईटी पहुंचे और मामले से सचिव भवानी सिंह पालावत को अवगत कराया और स्कूल का रास्ता बंद नहीं करने का आग्रह किया। सचिव पालावत के आश्वासन के बाद प्रतिनिधिमंडल वापस लौट गया।
अशोक पचेरवाल ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल जैसे ही मौके पर पहुंचा वहां पर मौजूद यूआईटी द्वारा स्कूल की तरफ जाने वाला रास्ता को दीवार बनाकर बंद का काम शुरू किया जा रहा था। उन्होंने मौजूद यूआईटी जेईएन को सचिव से हुई बातचीत से अवगत कराते हुए रास्ता बंद नहीं करने की मांग की, लेकिन मौजूद अधिकारी ने यह कहते हुए मना कर दिया उनके पास किसी का कॉल नहीं आया है और वह अपना काम जारी रखेंगे।
संघर्ष समिति पदाधिकारियों द्वारा काफी आग्रह के बावजूद यूआईटी अधिकारी नहीं माने तो मामला गर्मागया ओर मौजूद लोगों में गुस्सा पनपने लगा। लोगों ने यूआईटी प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। भीड़ में शामिल कुछ और लोगों ने पत्थर उठा लिए। करीब दो घंटे तक यह घटनाक्रम चला। लोगों का गुस्सा देखकर सुरक्षा जाब्ता सतर्क हो गया और जाब्ते में शामिल एक अधिकारी की सूझबूझ से मामला शांत हुआ। इस दरमियान आक्रोशित लोगों ने नवनिर्मित दीवार बनाने के लिए काम कर रहे मजदूरों को भी भगा दिया और काम बंद करवा दिया।
सांसद ओम बिरला के आवास पहुंचे संघर्ष समिति पदाधिकारी बताया घटनाक्रम
घटनाक्रम के बाद शाम को जन सेवा संघर्ष समिति के पदाधिकारी अशोक पचेरवाल, प्रमोद हाड़ा, फजलुरहमान सहित एक दर्जन पदाधिकारी सांसद ओम बिरला के शक्ति नगर स्थित आवास पहुंचे और सांसद बिरला के निजी सहायक हरिनंदन कहार को ज्ञापन सौंपकर मामले में उचित कार्रवाई की मांग की।
टकराव प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब संघर्ष समिति के पदाधिकारी यूआईटी सचिव से बात करके वापस मौके पर पहुंचे तो यहां एक अधिकारी के दिशा निर्देश में स्कूल की तरफ जाने वाले रास्ते का बंद करने के लिए दीवार बनाने की प्लांनिग का काम चल रहा था। जब पदाधिकारियों ने सचिव पालावत से बात होने का हवाला दिया और रास्ता बंद नहीं करने का आग्रह किया तो यूआईटी अधिकारी ने उनकी नहीं सुनी।
इससे मौजूद लोग आक्रोशित हो गए और उन्होंने पत्थर उठा लिए। लेकिन इसी दौरान यूआईटी के जाब्ते में मौजूद एक अधिकारी ने सूज बूज दिखाई और अधिकारी व पदाधिकारियों के बीच वार्ता करवा कर यूआईटी सचिव से बात करने के लिए राजी किया। उसके बाद मामला जैसे-तैसे शांत हुआ। लेकिन लोगों का गुस्सा बढ़ने लगा तो यूआईटी का जाब्ता व अधिकारी मौके से चले गए।
यह है मामला
अशोक पचेरवाल ने बताया कि विज्ञान नगर क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक कॉमप्लेक्स के पास राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय करीब 30 साल से संचालित है इसी स्कूल परिसर में आंगनबाड़ी भी संचालित है। लेकिन जब से क्षेत्र में कोचिंग उद्योग पनपा है यूआईटी की नजरें यहां की जमीन पर पड़ गई और वे उसे बेचान करने पर आमादा है। यहां स्कूल के आस-पास की जमीन काफी खाली है और यूआईटी द्वारा यहां कमर्शियल प्लानिंग की जा रही है।
ऐसे में स्कूल को भी यूआईटी ने निशाने पर लिया है। इस बात की खबर जैसे ही जनसेवा संघर्ष समिति के पदाधिकारियों व इंदिरा गांधी कॉलोनी के लोगों को चली तो सब एकजुट होकर स्कूल बचाने के लिए मैदान में खुलकर आ गए हैं।