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बॉलीवुड की कास्टिंग से बाहर न हो जाए कोटा, भोपाल में शूट हुई कोटा फैक्ट्री

जेईई मैन, नीट के परिणामों के बाद एक बार फिर कोटा चर्चा में है। इस बार चर्चा है कोटा फैक्ट्री की। ओटीटी पर हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री सीजन 2’ कोटा की कोचिंग बेस्ड है। फिल्म में सब अच्छा है, लेकिन कोटा के लिए चिंता की बात यह है कि पहले सीजन की तरह दूसरे सीजन की शूटिंग कोटा के बजाय भोपाल में की गई।

कोटाOct 09, 2021 / 08:26 am

Deepak Sharma

बॉलीवुड की कास्टिंग से बाहर न हो जाए कोटा, भोपाल में शूट हुई कोटा फैक्ट्री

बॉलीवुड की कास्टिंग से बाहर न हो जाए कोटा, भोपाल में शूट हुई कोटा फैक्ट्री

दीपक शर्मा/ कोटा. जेईई मैन, नीट के परिणामों के बाद एक बार फिर कोटा चर्चा में है। इस बार चर्चा है कोटा फैक्ट्री की। ओटीटी पर हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज ‘कोटा फैक्ट्री सीजन 2’ Kota Factory Season 2 कोटा की कोचिंग बेस्ड है। फिल्म में सब अच्छा है, लेकिन कोटा के लिए चिंता की बात यह है कि पहले सीजन की तरह दूसरे सीजन की शूटिंग कोटा के बजाय भोपाल में की गई। ओटीटी OTT के लिए एक और फिल्म की शूटिंग के लिए कोटा को चुना गया था। गत सितंबर में उसकी शूटिंग प्रस्तावित थी, लेकिन परमिशन नहीं मिली तो फिल्म निर्माता ने जयपुर, उदयपुर और भोपाल में शूटिंग करना सही समझा। बॉलीवुड के कोटा आकर पलायन करने के मामलों पर जिला प्रशासन और राज्य सरकार को गौर करना जरूरी है। इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो बॉलीवुड Bollywood की कास्टिंग में कोटा पिछड़ जाएगा।

… तो स्थितियों में बदलाव लाना जरूरी
प्रोडक्शन से जुड़े लोगों के मुताबिक, कोरोना काल में कोटा की परिस्थितियां शूट लायक नहीं होने के कारण भोपाल में शूटिंग की गई। गौरतलब है कि बॉलीवुड से कोटा का नाता अब और गहरा होने लगा है। एक समय था जब कोटा के लोग ‘द बर्निंग टे्रन’ The buring Train में कोटा जंक्शन के सिंगल शॉट आने पर तालियों से थियेटर गूंजा देते थे। गुलजार Guljar की माचिस की शूटिंग भी कोटा के आसपास के इलाकों में हुई। फिर लंबे अंतराल के बाद वरुण धवन Varun Dhawan की बद्रीनाथ की दुल्हनिया की शूटिंग ने बॉलीवुड का ध्यान कोटा की ओर खींचा। रानी मुखर्जी की Rani Mukharji मर्दानी 2 से भी कोटा की चर्चा हुई। हालांकि शूट के दौरान भीड़ ने परेशानी बढ़ाई तो संबंधित विभाग के अफसरों ने भी खुद सेलिब्रिटी बनने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नगर विकास न्यास व जिला प्रशासन के तत्कालीन अफसरों ने पद का रौब दिखाकर एक्टर्स से व्यक्तिगत मुलाकात का दबाव बनाया।

खुश होने के और भी मौके हैं…
एक ओर अनाम वेब सीरीज के कई भागों की शूटिंग पिछले दिनों कोटा में हो चुकी है। रणवीर सिंह और आलिया भट्ट स्टारर ‘गली ब्वाय’ के लेखक गिरीश मौर्य अब निर्देशन में हाथ आजमा रहे हैं। यूथ बेस्ड वेब सीरीज के लिए उन्होंने कोटा की पृष्ठभूमि को चुना और कई शेड्यूल शूट भी कर लिए। यह वेब सीरीज अब पोस्ट प्रोडक्शन में हैं।

भविष्य में अनुकूल हों स्थितियां…
उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश सरकारों ने फिल्मों की शूटिंग के लिए काफी रियायतें दे रखी हैं। यही कारण है कि निर्माता – निर्देशक इन राज्यों की ओर रुख करते हैं, जबकि राजस्थान में बेहतर लोकेशन के बावजूद अनुमति की लंबी प्रक्रिया के चलते प्रोडक्शन हाउस शूट का मन नहीं बना पाते।

क्यों सिंगल विंडो सोल्यूशन भी सफल नहीं…
राजस्थान में फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए सिंगल विंडो सोल्यूशन है, लेकिन उसके बावजूद शूटिंग की अनुमति के लिए प्रोडक्शन हाउस को परेशान होना पड़ता है। एक प्रोडक्शन हाउस से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जयपुर में 15 से 20 दिन पहले आवेदन करने के बावजूद शूटिंग की परमिशन नहीं मिलती। परमिशन मिल जाती है तो जिस जिले में शूट करना है, वहां लोकल स्तर पर अनुमति का लेटर प्रोसेस करवाने में समय जाया होता है। जबकि होना यह चाहिए कि शूटिंग के लिए आवेदन मिलने पर शीघ्र परमिशन मिले और उसी परमिशन की कॉपी संबंधित विभागों को जिला स्तर पर तत्काल भेज दिया जाए। इससे प्रोडक्शन टीम का समय बचेगा।

लगा 80 करोड़ का फटका
फिल्म निर्माता सुभाष सोरल के मुताबिक, एवरेज बजट की फिल्म की 15 दिन की शूटिंग में 2 करोड़ से ज्यादा का खर्च हो जाता है। इसमें शूटिंग का रहना-खाना, ट्रेवलिंग, लोकल आर्टिस्ट सपोर्ट और शॉपिंग शामिल होता है। शूटिंग का शेड्यूल काफी व्यस्त होता है। कलाकारों के हिसाब से शूट डेट फाइनल होती हैं। अधिकांश बार उनका शेड्यूल चेंज होने से शूट शेड्यूल भी चेंज करना पड़ता है, लेकिन सरकारी सिस्टम इस बात को नहीं समझता। शूटिंग की समय पर परमिशन नहीं मिलने के चलते पिछले पांच सालों में 40 से ज्यादा वेब सीरीज और फिल्म मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश चली गईं।

वर्जन
राजस्थान में शूटिंग की अनुमति लेना मुश्किल होता है। पहले तो जयपुर में 15 से 20 दिन पहले आवेदन करना होता है। सिंगल विंडो होने के बावजूद भी संबंधित विभागों से फाइल आगे पहुंचाने के लिए प्रोडक्शन हाउस को ही मशक्कत करनी पड़ती है, जबकि अन्य राज्यों में फिल्म शूटिंग की अनुमति के निर्देश प्रोडक्शन हाउस को मिलने के साथ साथ ही संबंधित विभागों तक पहुंचा दिए जाते हैं। यदि सरकार जिला स्तर पर अनुमति की व्यवस्था कर दे तो यह ज्यादा बेहतर हो।
सुभाष सोरल, निर्माता एवं वाइस प्रेसिडेंट, लाइन प्रोड्यूसर एसोसिएशन, राजस्थान

शूटिंग की परमिशन तो कलक्ट्रेट से मिलती है। न्यास के अधीन जगहों पर शूटिंग के लिए हमारी तरफ से कोई आवेदन पेंडिंग नहीं हैं। पिछले दिनों वेब सीरीज के लिए अनुमति मांगी थी, जो उसी दिन दे दी गई थी। आगे भी फिल्म या बेव सीरीज के लिए शूटिंग की अनुमति मांगता है तो उसे पूरा सहयोग किया जाएगा।
राजेश जोशी, सचिव, नगर विकास न्यास, कोटा

राजस्थान में कोरोना गाइड लाइन के कारण पिछले काफी दिनों से बड़े आयोजनों के लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई। फिल्म शूटिंग या अन्य किसी भी इवेंट की अनुमति राज्य सरकार के प्रावधानों के अनुसार ही दी जाती है। कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय से आयोजन नहीं हो रहे हैं।
उज्ज्वल राठौड़, जिला कलक्टर, कोटा

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