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कोटा

विश्व नदी दिवस विशेष : करोड़ों की उम्मीद है चंबल, इस उम्मीद को बचाना है

World River Day Special : प्रदेश की एक मात्र सदानीरा चंबल नदी मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान को सरसब्ज कर रही है। मध्यप्रदेश के महू जिले में जनापाव से निकल कर उत्तरप्रदेश तक विराट क्षेत्र के विकास की उम्मीद चंबल है। इसमें भी हाड़ौती की धरा मां चर्मण्यवती के ममता के आंचल में विशेष रूप से फल-फूल रहा है।

कोटाSep 25, 2022 / 12:44 am

Deepak Sharma

विश्व नदी दिवस विशेष : करोड़ों की उम्मीद है चंबल, इस उम्मीद को बचाना है

शहर से होकर गुजर रही चंबल को शहरी नाले प्रदूषित कर रहे हैं।

World River Day Special : प्रदेश की एक मात्र सदानीरा चंबल नदी मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान को सरसब्ज कर रही है। मध्यप्रदेश के महू जिले में जनापाव से निकल कर उत्तरप्रदेश तक विराट क्षेत्र के विकास की उम्मीद चंबल है। इसमें भी हाड़ौती की धरा मां चर्मण्यवती के ममता के आंचल में विशेष रूप से फल-फूल रहा है।
लाइफ लाइन के रूप में यह 12 लाख शहर वासियों के कंठ को तो तर कर ही रही है। हाड़ौती के लाखों किसानों की जमीन सदानीरा चंबल की बदौलत ही सोना उगल रही है। इसके विशाल फैलाव में सैकड़ों प्रजातियों के प्राणी भी पनप रहे हैं। कोटा के लिए तो यह लाइफ लाइन है। जहां पानी की जरूरत होती है प्रदेश के कई जिलों की चंबल ने प्यास बुझाई है। भीलवाड़ा समेत अन्य जगहों पर चंबल का पानी पहुंचा है। चंबल को देश की अन्य कई नदियों की तुलना में शुद्ध माना जाता है, लेकिन बढ़ता शहरीकरण चंबल को मेला कर रहा है। इससे चंबल का परि िस्थतिक तंत्र गड़बड़ाने लगा है।
लाखों जलचरों की पनाहगाह

जानकारों के अनुसार, चंबल में घडि़याल, ऊदबिलाव, मगरमच्छ समेत विभिन्न प्रजातियों की मछलियां व अन्य जलचर पनप रहे हैं। ऊदबिलाव तो गंगा के बाद चंबल में ही नजर आते हैं।
गिरते नाले कर रहे मैला

शहर से होकर गुजर रही चंबल को शहरी नाले प्रदूषित कर रहे हैं। शिवपुरा, गोदावरी धाम, नयापुरा समेत विभिन्न स्थानों पर िस्थत दो दर्जन नाले चंबल के अमृत में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। इन नालों से घुलता जहर जलीय जीवों के लिए भी मुश्किल बनता जा रहा है। इन नालों की गंदगी को चंबल में जाने से रोकने के लिए योजनाएं तो कई बनी, लेकिन योजनाओं पर अब तक ठोस कार्य नहीं हुआ। नदी में अवैध बजरी खनन के चलते जीवों का जीवन संकट में पड़ रहा है।
ये भी खास है बातें

चम्बल मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। यह नदी “जानापाव पर्वत” बाचू पाईट महू से निकलती है। इसका प्राचीन नाम “चर्मण्यवती” है, जो 965 किलोमीटर की दूरी तय करके उतरप्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज के पास यमुना में मिल जाती है।
बनास, क्षिप्रा, मेज, बामनी, सीप काली सिंध, पार्वती, छोटी कालीसिंध, कुनो, ब्राह्मणी, परवन नदी, आलनिया, गुजाॅली इत्यादि चम्बल की सहायक नदियां हैं।
महाभारत के अनुसार, राजा रंतिदेव के यज्ञों में जो आर्द्र चर्म राशि इकट्ठा हो गई थी, उसी से यह नदी उदभुत हुई थी
यह नदी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में बहती है।
इस नदी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर बांध व कोटा बैराज बने हुए हैं।
फैक्ट फाइल

965 किलोमीटर है चंबल की कुल लंबाई
376 किलोमीटर किमी राजस्थान में बहती है चर्मण्यवती
8 जिलों से गुजरते हुए करती है आबाद
4 बांध बने हैं प्रदेश में चंबल नदी पर
1960 में विकसित हुआ नहरी तंत्र
3.30 लाख के करीब किसान हो रहे लाभान्वित
2.29 लाख हैक्टयर जमीन सिंचित होती है प्रदेश में चंबल से
2.29 लाख हैक्टयर मध्यप्रदेश की जमीन को करती है उपजाऊ
12 लाख शहरवासियों के हलक तर कर रही चंबल
2 नहरें दाईं व बाईं निकल रही है चंबल से
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