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कुचामन शहर

कम हो रहा पानी, कैसे हो फव्वारा से सिंचाई

कुचामन क्षेत्र: 2017-18 में कम किसानों ने प्राप्त किया अनुदान

कुचामन शहरJun 28, 2018 / 11:36 am

Kamlesh Kumar Meena

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kuchaman

कमलेश मीना
कुचामनसिटी. क्षेत्र में एक ओर सरकार फव्वारा सिंचाई पद्धति पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी ओर पानी की निरंतर कमी होती जा रही है। इससे मजबूरन किसान फव्वारा सिंचाई पद्धति से दूर होते जा रहे हैं। पिछले दो साल के आंकड़े तो कुछ इस तरह की स्थिति ही बयां कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक एक समय था जब कुचामन क्षेत्र में पानी की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता थी। लेकिन अब पानी की मात्रा कम होने के साथ ही फव्वारा सिंचाई पद्धति पर ग्रहण लग रहा है। प्रदेश सरकार की ओर फव्वारा सिंचाई पद्धति से फसलों की सिंचाई करने पर किसानों को अनुदान उपलब्ध करवाया जाता है। और तो और पानी की उपलब्धता से प्रदेश से अन्य राज्य भी सीख ले रहे हैं। गौरतलब है कि फव्वारा सिंचाई उपकरण प्राप्त करने पर किसानों को करीब 15 हजार रुपए तक अनुदान उपलब्ध करवाया जाता है। हालांकि दस वर्ष में एक बार ही अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। कुचामन क्षेत्र में अधिकतर किसान फव्वारा सिंचाई उपकरण प्राप्त कर चुके हैं। जिन किसानों ने उपकरण प्राप्त कर लिए हैं, उनको दुबारा उपकरण प्राप्त करने के लिए दस वर्ष का इंतजार करना ही पड़ेगा। कुचामन सहायक निदेशक कार्यालय से वर्ष 2016-17 में 118 किसानों को अनुदान दिया गया था। वहीं वर्ष 2017-18 में सिर्फ 109 लोगों ने ही अनुदान प्राप्त किया।
यह है पात्रता
विभाग की ओर से फव्वारा उपकरणों के लिए पात्रता निर्धारित की गई है। जानकारी के अनुसार अनुदान दस हजार प्रति हैक्टेयर पर उपलब्ध करवाया जाता है। क्षेत्र में पानी घटने से फव्वारा सिंचाई उपकरण अधिकतर किसानों के पास हो गए हैं। पहले किसान ७५ एमएम की पाइप लाइन लेते थे, लेकिन अब पानी घटने से ६३ एमएम की पाइप लाइन की ही ज्यादा मांग है।
लक्ष्य नहीं हुए प्राप्त
विभाग के सूत्रों के मुताबिक फव्वारा सिंचाई पद्धति उपकरण के लक्ष्य अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। लक्ष्य प्राप्त होते हैं किसान सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। ऑनलाइन आवेदन कृषि विभाग के पास पहुंचने पर उनको सब्सिडी का निर्धारण किया जाता है। हालांकि जल्द ही लक्ष्य प्राप्त हो सकते हैं।
इनका कहना है
किसानों को फव्वारा सिंचाई उपकरणों पर अनुदान मिलता है। किसानों के लिए यह पद्धति काफी उपयोगी है। अधिक से अधिक किसान इस तकनीक को अपनाएं। हालांकि कुचामन क्षेत्र में पानी की कमी जरूर चिंताजनक है।
– रेखा कुमावत, सहायक निदेशक, कृषि विभाग, कुचामनसिटी

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