सरकार की ओर से जो अनुदान गोशालाओं को दिया जाता है। वह 200 से कम गोवंश वाली गोशालाओं को नहीं मिलता। साथ ही सभी गोवंश के टैग लगा होना आवश्यक है। पशुपालन विभाग की टीम ने गोशालाओं में पहुंचकर भौतिक सत्यापन किया तो कई गोवंश के टैग नहीं लगी हुई थी। ऐसे में उन गोवंश के लिए अनुदान राशि दी गई। गोशाला से जुड़े रघुनाथ काबरा ने बताया कि राज्य सरकार सिर्फ चारे के लिए राशि देती है। इसके अलावा केन्द्र सरकार चारा, पानी, बांटा सहित अन्य व्यय के लिए भी राशि देती है।
राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2016-17 में दो करोड़ 18 लाख दो हजार 726 रुपए सहायता राशि दी गई। वहीं 2017-18 में दो करोड़ 47 लाख सात हजार 988 रुपए दिए गए। प्रथम किस्त की राशि एक करोड़ 90 लाख सात हजार 751 रुपए, द्वितीय किस्त की राशि एक करोड़ 17 लाख 16 हजार 151 रुपए दी गई। 90 दिवस की एक मुश्त राशि 77 लाख 86 हजार 822 रुपए दी गई। ऐसे में अभी तक 63 गोशालों को चार करोड़ 65 लाख 10 हजार 714 रुपए वितरित किए जा चुके हैं। इसमें केन्द्र सरकार की ओर से प्राप्त राशि अलग है।
गोशालाओं में लोग गोवंश को लेकर आ जाते हैं। जबकि गोशाला संचालकों का कहना है कि पशुपालन विभाग की ओर से शहर में चिकित्सालय है। वहां लोग गोवंश को ले जा सकते हैं और उपचार करवा सकते हैं। शहर की गोशाला में सप्ताह में 10 मामले ऐसे आ जाते हैं। ऐसे में गोशाला में मजबूरी में गोवंश का उपचार कराना पड़ता है।
– सी.आर. मेहरड़ा, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, कुचामनसिटी