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कुचामन शहर

चारा-पानी को तरसी गोशालाएं

सरकारी सहायता बनी ऊंट के मुंह में जीरा, भामाशाहों के सहयोग से चल रही व्यवस्था

कुचामन शहरDec 23, 2017 / 12:11 pm

Kamlesh Kumar Meena

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कुचामनसिटी. ब्लॉक में गोशालाएं चारा-पानी को तरस रही है। सरकारी सहायता ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। ऐसे में भामाशाहों के सहयोग से गोशालाओं की व्यवस्था चल रही है। सरकार से अनुदान प्राप्त होता है, लेकिन दो तीन माह से ज्यादा समय का नहीं मिलता। ऐसे में पूरे वर्ष गोशालाओं को दूसरों का मुंह ताकना पड़ता है। यह तो अच्छा है कि भामाशाह इस कार्य में आगे आ जाते हैं, जिससे गोशालाओं की व्यवस्था बन जाती है अन्यथा गोशालाएं भगवान भरोसे ही संचालित हो रही है। गोशाला संचालकों से पत्रिका ने बात की तो चौंकाने वाली स्थिति नजर आई। गोशालाओं संचालकों ने बताया कि उन्हें सरकार की ओर से अनुदान दिया जाता है, लेकिन वह बहुत कम होता है। राज्य सरकार की ओर से तीन वर्ष से छोटे गोवंश के लिए १६ रुपए तथा इससे अधिक आयु वाले गोवंश के लिए 32 रुपए का अनुदान दिया जाता है, लेकिन इससे गोवंश का पूरे वर्ष तक पालन-पोषण नहीं हो पाता। वहीं केन्द्र सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि राज्य सरकार की राशि से ज्यादा होती है। केन्द्र सरकार की ओर से छोटे पशु के लिए 35 तथा बड़े पशु के लिए 70 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान दिया जाता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार की ओर से अनुदान स्वीकृत नहीं किया है। पिछले वित्तीय वर्ष का अनुदान ही नए वित्तीय वर्ष में वितरित किया गया। जबकि गोशाला संचालकों का मानना है कि कम से कम एक गोवंश के लिए 100 रुपए की सहायता राशि प्रतिदिन के हिसाब से मिलनी चाहिए। कुछ गोशाओं में तो टैंकर से पानी मंगवाना पड़ता है। इसके अलावा चारा, पानी, बांटा आदि की व्यवस्था भामाशाहों के सहयोग से करनी पड़ रही है।
200 से कम गोवंश पर नहीं मिलता अनुदान
सरकार की ओर से जो अनुदान गोशालाओं को दिया जाता है। वह 200 से कम गोवंश वाली गोशालाओं को नहीं मिलता। साथ ही सभी गोवंश के टैग लगा होना आवश्यक है। पशुपालन विभाग की टीम ने गोशालाओं में पहुंचकर भौतिक सत्यापन किया तो कई गोवंश के टैग नहीं लगी हुई थी। ऐसे में उन गोवंश के लिए अनुदान राशि दी गई। गोशाला से जुड़े रघुनाथ काबरा ने बताया कि राज्य सरकार सिर्फ चारे के लिए राशि देती है। इसके अलावा केन्द्र सरकार चारा, पानी, बांटा सहित अन्य व्यय के लिए भी राशि देती है।
इस तरह मिली राशि
राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2016-17 में दो करोड़ 18 लाख दो हजार 726 रुपए सहायता राशि दी गई। वहीं 2017-18 में दो करोड़ 47 लाख सात हजार 988 रुपए दिए गए। प्रथम किस्त की राशि एक करोड़ 90 लाख सात हजार 751 रुपए, द्वितीय किस्त की राशि एक करोड़ 17 लाख 16 हजार 151 रुपए दी गई। 90 दिवस की एक मुश्त राशि 77 लाख 86 हजार 822 रुपए दी गई। ऐसे में अभी तक 63 गोशालों को चार करोड़ 65 लाख 10 हजार 714 रुपए वितरित किए जा चुके हैं। इसमें केन्द्र सरकार की ओर से प्राप्त राशि अलग है।
आ जाते हैं गोवंश को लेकर
गोशालाओं में लोग गोवंश को लेकर आ जाते हैं। जबकि गोशाला संचालकों का कहना है कि पशुपालन विभाग की ओर से शहर में चिकित्सालय है। वहां लोग गोवंश को ले जा सकते हैं और उपचार करवा सकते हैं। शहर की गोशाला में सप्ताह में 10 मामले ऐसे आ जाते हैं। ऐसे में गोशाला में मजबूरी में गोवंश का उपचार कराना पड़ता है।
गोशालाओं को निर्धारित दर के अनुसार गोवंश का वितरण किया जाता है। यदि कम है तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। इसका निर्णय सरकार के स्तर पर ही होता है। जैसे ही अनुदान आएगा, नियमानुसार वितरण कर दिया जाएगा।
– सी.आर. मेहरड़ा, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, कुचामनसिटी

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