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कुचामन शहर

… मंद पड़े मार्बल व्यवसाय को मिली वैश्विक स्तर चमक

हेमन्त जोशी. कुचामनसिटी/मकराना.
मकराना के सफेद संगमरमर को ग्लोबल हैरिटेज में शामिल होने से अब फिर से इस पत्थर की धुंधली हुई चमक लौट सकेगी। पिछले कई सालों में अधिकांश खानों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और बाजार में चलन में आए सस्ते पत्थरों व टाइल्स से मकराना का बाजार पिछले पांच सालों में गिर गया था। अब संगमरमर को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिलने के बाद मकराना के मार्बल उद्यमियों को फिर से मार्बल के व्यापार में बढोतरी की उम्मीद जगी है।

कुचामन शहरJul 24, 2019 / 12:05 pm

Hemant Joshi

makrana Marble business gets globally glowing glow

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मकराना का मार्बल उद्योग पिछले कई सालों से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। अब मार्बल का अधिकांश व्यापार सीधे तौर पर मूर्तियों से जुड़ा रह गया है। मार्बल पत्थरों को चीरने वाली अधिकांश गैंगसा मशीनें विगत वर्षों में बंद पड़ी थी। हालांकि बाजार में मकराना के मार्बल की मांग आज भी बहुतायत में होती है लेकिन मकराना के मार्बल के नाम से बाजार में दूसरे पत्थरों की बिक्री की जा रही है। ऐसे में मकराना के मार्बल उद्योग को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ा था। हालांकि मकराना के मार्बल का बड़े स्तर पर किशनगढ से भी व्यापार हो रहा है। यहां के व्यापारियों का कहना है कि पुराने समय से ही मकराना के मार्बल की उपयोगिता रही है लेकिन राज्य सरकारों ने कभी मकराना शहर को विकसित करने एवं मार्बल उद्योग को बढावा देने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। जिसके चलते मार्बल नगरी मकराना आज भी मुलभूत सुविधाओं से वंचित है।
दो साल में फिर से शुरु हुआ है व्यापार

मकराना की सबसे अच्छी खानों में गिनी जाने वाली बापी खाने पिछले कई सालों से बंद पड़ी है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते करीब डेढ सौ खानों में मार्बल का खनन बंद पड़ा था। गत वर्ष सुप्रीम कोर्ट की रोक हटने के बाद इन खानों पर फिर से खुदाई कार्य शुरु हो सका है। जिससे मकराना में बड़े स्तर पर मार्बल का खनन शुरु हुआ। अब वल्र्ड हैरिटेज में शामिल होने के बाद बाजार में मकराना के मार्बल की मांग बढेगी और मकराना के मार्बल उद्योग को बढावा मिल सकेगा।
फैक्ट फाइल

मकराना क्षेत्र में मार्बल खदाने- 900
मार्बल चीरने वाली गैंगसा- 500
मार्बल व्यापारी- 5000
मजदूर- 50 हजार
मार्बल के मूर्ति कारीगर- 1000
मूर्तियों के व्यापारी- 50


सरकार की यह घोषणाएं जो अधुरी-

मकराना के मार्बल उद्योग के लिए राज्य सरकारों की कई घोषणाएं ऐसी है जो कागजों में दफन होकर रह गई। मकराना का मार्बल एरिया, नावां के निकट सांभर झील एवं पुष्कर सहित कुचामन एवं आस-पास के क्षेत्रों को मिलाकर पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए पिछली सरकार में तैयारी हुई थी। इसके अलावा गत सरकार में जयपुर से नावां, मकराना होते हुए जोधपुर तक फॉरलेन हाइवे सडक़ की घोषणा की गई थी। इस सडक़ का भी निर्माण कार्य शुरु नहीं हुआ। ऐसे में यह शहर आज भी मेगा हाइवे की सडक़ से अलग है। यहां के व्यापारियों का कहना है कि मार्बल लदान होकर जाने वाली गाडिय़ों को भी अधिकारी परेशान करते है। जिससे अधिकांश लोग सीधे ही किशनगढ से मार्बल खरीद कर हाइवे से निकल जाते है। ऐसे में मकराना का मार्बल उद्योग प्रभावित हो रहा है।
विदेशी इमारतों में भी चमक है मकराना के मार्बल की-

भारत का विश्व प्रसिद्ध ताजमहल ही नहीं दुबई में स्थित अबू धाबी की मशहूर शेख जायद मस्जिद मकराना के मार्बल को लेकर चर्चा में रह चुकी है। इसके निर्माण में राजस्थान के मकराना का संगमरमर लगा है। यह दुनिया की सबसे खूबसूरत मस्जिद है। जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जा चुके है। ऐसा नहीं है कि मकराना के मार्बल ने दुबई की इस मस्जिद की खूबसूरती में चार चांद लगाएं हों बिल्क देश और दुनिया की कई बड़ी और मशहूर इमारतों में भी यह मार्बल अपनी चमक बिखेर रहा है।

इनका कहना-
मकराना के मार्बल को ग्लोबल हैरिटेज में शामिल करना मकराना के लिए गौरव की बात है लेकिन मकराना मार्बल नगरी के विकास पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। आज लोग मकराना के मार्बल के लिए दूसरे शहरों में जा रहे हैं।
रुपाराम मुरावतिया
विधायक, मकराना

मकराना के मार्बल की चमक सैंकड़ों साल बाद भी खराब नहीं होती। ग्लोबल हैरिटेज में शामिल होने के बाद अब देश में बनने वाली इमारतों में भी इस पत्थर का उपयोग बढेगा और मकराना के उद्योग को नया जीवन मिलेगा।
प्रेमप्रकाश मुरावतिया
मार्बल व्यापारी, मकराना
—-
मकराना का मार्बल वास्तु के अनुरूप भी अच्छा माना गया है। इस पत्थर में केल्श्यिम पाया जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा देता है। इस पत्थर से बनी मूर्तियां बरसों तक चमकदार बनी रहती है। यह पत्थर वास्तुशास्त्र में भी शुभ माना गया है।
आचार्य विमल पारीक
मकराना

मकराना के मार्बल को आज एक और नई पहचान मिली है। यहां हजारों लोग इस कार्य से जुड़े हुए है। अब मार्बल उद्योग को भी बढावा मिलेगा और मार्बल व्यापार भी बढ सकेगा।
अजीज सिसोदिया
संयुक्त सचिव, मार्बल एसोसिएशन

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