मार्बल चीरने वाली गैंगसा- 500
मार्बल व्यापारी- 5000
मजदूर- 50 हजार
मार्बल के मूर्ति कारीगर- 1000
मूर्तियों के व्यापारी- 50
सरकार की यह घोषणाएं जो अधुरी- मकराना के मार्बल उद्योग के लिए राज्य सरकारों की कई घोषणाएं ऐसी है जो कागजों में दफन होकर रह गई। मकराना का मार्बल एरिया, नावां के निकट सांभर झील एवं पुष्कर सहित कुचामन एवं आस-पास के क्षेत्रों को मिलाकर पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए पिछली सरकार में तैयारी हुई थी। इसके अलावा गत सरकार में जयपुर से नावां, मकराना होते हुए जोधपुर तक फॉरलेन हाइवे सडक़ की घोषणा की गई थी। इस सडक़ का भी निर्माण कार्य शुरु नहीं हुआ। ऐसे में यह शहर आज भी मेगा हाइवे की सडक़ से अलग है। यहां के व्यापारियों का कहना है कि मार्बल लदान होकर जाने वाली गाडिय़ों को भी अधिकारी परेशान करते है। जिससे अधिकांश लोग सीधे ही किशनगढ से मार्बल खरीद कर हाइवे से निकल जाते है। ऐसे में मकराना का मार्बल उद्योग प्रभावित हो रहा है।
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इनका कहना-
मकराना के मार्बल को ग्लोबल हैरिटेज में शामिल करना मकराना के लिए गौरव की बात है लेकिन मकराना मार्बल नगरी के विकास पर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। आज लोग मकराना के मार्बल के लिए दूसरे शहरों में जा रहे हैं।
रुपाराम मुरावतिया
विधायक, मकराना
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मकराना के मार्बल की चमक सैंकड़ों साल बाद भी खराब नहीं होती। ग्लोबल हैरिटेज में शामिल होने के बाद अब देश में बनने वाली इमारतों में भी इस पत्थर का उपयोग बढेगा और मकराना के उद्योग को नया जीवन मिलेगा।
प्रेमप्रकाश मुरावतिया
मार्बल व्यापारी, मकराना
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मकराना का मार्बल वास्तु के अनुरूप भी अच्छा माना गया है। इस पत्थर में केल्श्यिम पाया जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा देता है। इस पत्थर से बनी मूर्तियां बरसों तक चमकदार बनी रहती है। यह पत्थर वास्तुशास्त्र में भी शुभ माना गया है।
आचार्य विमल पारीक
मकराना
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मकराना के मार्बल को आज एक और नई पहचान मिली है। यहां हजारों लोग इस कार्य से जुड़े हुए है। अब मार्बल उद्योग को भी बढावा मिलेगा और मार्बल व्यापार भी बढ सकेगा।
अजीज सिसोदिया
संयुक्त सचिव, मार्बल एसोसिएशन