1957 में दूसरा आम चुनाव हुआ लेकिन इस बार गोरखपुर-बस्ती मंडल से कोई महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं रहा। 1962 के लोकसभा आम चुनाव में गोरखपुर से कमला सहाय फिर चुनाव मैदान में थीं। लेकिन इस बार भी उनको कोई खास मत नहीं मिले, वह महज 19398 वोट ही बटोर सकी। इसके बाद लगातार हुए तीन चुनावों में कोई महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं आया। 1967, 1971 व 1977 के चुनाव में किसी महिला प्रत्याशी ने पर्चा नहीं भरा।
1991 में भी महिला प्रत्याशियों की संख्या उत्साहित करने वाली थी। डुमरियागंज से कांग्रेस ने अपनी कद्दावर नेता मोहसिना किदवई को मैदान में उतारा तो जानी मानी पत्रकार सीमा मुस्तफा भी इसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में थीं। पडरौना लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व रक्षा राज्यमंत्री सीपीएन सिंह की पत्नी मोहिनी देवी व देवरिया से कांग्रेस के ही सिंबल पर पूर्व विधायक शशि शर्मा मैदान में थे। लेकिन किसी को जीत का स्वाद चखने का मौका जनता नहीं दिया। मोहसिना किदवई 139631 मत पाकर बीजेपी के रामपाल सिंह से पचास हजार से अधिक मतों से हार गई। सीमा मुस्तफा को महज 49553 वोट ही मिले। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री सीपीएन सिंह की पत्नी मोहिनी देवी को 42436 वोट पाकर चैथे नंबर पर रहीं। मोहिनी देवी पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह की मां हैं।
देवरिया की कांग्रेस प्रत्याशी शशि शर्मा को 59834 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहीं। जबकि खलीलाबाद की निर्दलीय प्रत्याशी उषा देवी 2285 वोट बटोर सकीं।
खलीलाबाद संसदीय सीट से निर्दलीय उषा पांडेय को 302 वोट, गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय दुर्गावती को 414 वोट और त्रिवेणी गांधी को 150 वोट मिल सके थे। देवरिया संसदीय सीट से कांग्रेस की शशि शर्मा 17161 वोट पाकर फिर चैथे नंबर पर रहीं।
पहली महिला सांसद बनीं सुभावती पासवान बांसगांव से सपा प्रत्याशी सुभावती पासवान मंडल में चुनाव जीतने वाली पहली महिला प्रत्याशी बनी। सुभावती पासवान बाहुबली पूर्व विधायक ओम प्रकाश पासवान की पत्नी हैं और बीजेपी के वर्तमान सांसद कमलेश पासवान की मां हैं। 1996 में महिला सांसद के रूप में जीत का रिकार्ड बनाने वाली सपा की सुभावती पासवान को 203591 वोट मिले जबकि भाजपा के राजनारायण पासी को 177422 वोट मिले। बसपा प्रत्याशी मोलई प्रसाद को 102746 वोट मिले। हालांकि, इस चुनाव के बाद सुभावती पासवान भी जीत का स्वाद नहीं चख सकी। जीतने के बाद दो चुनाव लड़ी लेकिन दोनों में हार का सामना करना पड़ा। 2009 में अपने पुत्र कमलेश पासवान के लिए लोकसभा चुनाव की राजनीति छोड़ दीं।
1998 में हुए लोकसभा चुनाव में मंडल की पहली महिला सांसद सुभावती पासवान फिर चुनाव मैदान में रहीं। सपा की सुभावती पासवान को कड़े मुकाबले में भाजपा के राजनारायण पासी से हारना पड़ा। बांसगांव से ही लड़ने वाली रूपावती देवी को 3882 मत मिले।
1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कई महिलाओं ने भाग्य आजमाया लेकिन सफलता नहीं मिली। बांसगांव से सपा की सुभावती पासवान 174996 मत पाकर दूसरे नंबर पर रहीं। खलीलाबाद से निर्दलीय ममता को 1297 वोट मिले। गोरखपुर की निर्दलीय प्रत्याशी पुष्पा देवी 2049 वोट पाई। हालांकि, बसपा ने पहली बार महिला प्रत्याशी महराजगंज में उतारे। यहां से चुनाव लड़ रही तलत अजीज को 171408 वोट मिले लेकिन वह चुनाव जीत नहीं सकी।
2004 का लोकसभा चुनाव भी महिलाओं के लिए कोई खास नहीं रहा। बसपा-सपा को छोड़कर किसी प्रमुख दल ने महिला प्रत्याशी नहीं उतारे। बांसगांव से सपा प्रत्याशी सुभावती पासवान 135501 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहीं तो महराजगंज से बसपा की तलत अजीज 157438 मत पाकर चैथे। दो अन्य प्रत्याशी बस्ती से महिला प्रत्याशी गौरा 3261 वोट और खलीलाबाद की फूलादेवी को 1509 वोट मिले थे।
2009 में सपा को छोड़ किसी भी प्रमुख दल ने महिलाओं पर भरोसा नहीं जताया। बांसगांव से सपा ने पूर्व विधायक शारदा देवी को चुनाव लड़ाया और वह 113170 वोट पाकर चुनाव हार गईं। यहीं से निर्दल कुंजावती 4633 वोट पाईं। संतकबीरनगर से निर्दलीय अंजू 8163, सुशीला जिज्ञासु 3489, देवरिया संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय सरिता 4882 वोट पाने वाली महिला प्रत्याशी बनीं।
2014 के लोकसभा चुनाव डुमरियागंज से कांग्रेस ने रानी वसुंधरा को चुनाव मैदान में उतारा। वसुंधरा भाजपा विधायक राजा जय प्रताप सिंह की पत्नी हैं। कांग्रेस की वसंुधरा को 88117 वोट से ही संतोष करना पड़ा जबकि संतकबीरनगर से निर्दलीय अपर्णा को 11046 वोट व ज्योति सिंह को 1884 मत मिले। बांसगांव से निर्दलीय कुंजावती को 4346 वोट मिले। गोरखपुर से सपा ने पूर्व मंत्री जमुना प्रसाद निषाद की पत्नी राजमति निषाद को तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लड़ाया। राजमति 226216 वोट पाकर हार गईं।