चार मांगों को पूरा करने की अपील दिये गए ज्ञापन मे संगठन ने चार प्रमुख मांगो को शामिल किया है। इनमे पहली मांग समान कार्य समान वेतन व मानव संसाधन नीति को लागू किया जाना है। दूसरी मांग आउट सोर्सिंग/ठेका प्रथा पर रोक है। तीसरी मांग संविदा कार्मिकों का स्थायी समायोजन एवं नवीन पद पर सृजन किया जाना है। चौथी मांग मे आशा कार्यकत्रियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिये जाने व उनको दस हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिये जाना शामिल है।
ज्ञापन में उल्लेखित है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संघ के प्रदेश भर में कार्यरत लगभग 75 हजार संविदा कर्मचारियों और 2 लाख आशा बहुओं के लिए तार सूत्रीय लंबित मांगों के संबंध में 17 नवंबर, 2018 को ज्ञापन सौंपा गया था। साथ ही समस्त अधिकारियों को आश्वासन दिया गया था कि एक महीने के भीतर मांगों को पूरा किया जाएगा। लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया। इससे प्रदेश भर के संविदा कर्मचारियों मे खासी नाराजगी है।
यह रहे मौजूद अपनी जायज मांगो के संबंध में प्रदेश नेतृत्व मे 3 अप्रैल, 2016 को गृहमन्त्री राजनाथ सिंह ने वादा किया था कि उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर संविदा कर्मचारियों की मांगो को पूरा किया जायेगा। लेकिन अभी तक संविदा कर्मचारियों के हित मे कोई भी फैसला नहीं लिया गया है। इससे नाराज संविदा कर्मचारी 21 जनवरी से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने को विवश हैं। ज्ञापन देने वाले मे महामंत्री देवेन्द्र नाथ पांडे कोषाध्यक्ष विजय वर्मा सचिव संतोष आनन्द इस मौके पर देव नन्दन श्रीवास्तव व अन्य संविदा कर्मचारियों मे डा. अनिल वर्मा, डा. पूनम सिंह, मनीष कुमार, शंशाक श्रीवास्तव, अनुज श्रीवास्तव, नरेश वर्मा, आलोक कुमार, रवि श्रीवास्तव, इन्दू, मंजू, विकास आनन्द, सचिन गुप्ता, शिव सिंह, राहुल तिवारी आदि मौजूद रहे। इस दौरान विभागीय अधिकारियों में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अश्वनी कुमार व डा. आरपी दीक्षित मौजूद रहे।