किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई की फीस से लेकर गन्ने की गुड़ाई उर्वरक और धान की फसल लगाने तक के पैसे नहीं है। किसान सूखे सूदखोरों से ऊंची ब्याज दरों पर पैसे लेकर किसी तरह काम चला रहे हैं। धान की रोपाई का वक्त आ गया है। इससे किसानों की चिंता और भी बढ़ गई है। प्रदेश सरकार ने 14 दिन के भीतर गन्ने का भुगतान कराने का वादा किया था जो पूर्ण रूप से हवा हवाई साबित रहा। वहीं क्षेत्रीय किसान रजनीश, राजपूत, समर प्रताप सिंह, नावेद हुसैन, विजय शर्मा सहित तमाम किसानों का कहना है कि पेराई सत्र बंद हुए एक सप्ताह से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन बेलरायां चीनी मिल अभी तक मात्र 10 फरवरी तक का ही भुगतान कर पाई है। किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री बताए कि उन्होंने गन्ना आपूर्ति कराने के 14 दिन में भुगतान कराने का वादा किया था। आखिर यह वादा कहां गया, क्षेत्र का अधिकतर किसान गन्ने की नगदी फसल पर ही निर्भर है। पैसा ना होने से किसान महिलाओं के जेवर गिरवी रखकर किसी तरह से खर्चा चला रहे हैं। इतना ही नहीं सूदखोरों से मनमाने ब्याज पर पैसा लेकर गन्ने की गुड़ाई सिंचाई व उर्वरक की पूर्ति भी कर रहे हैं। किसानों ने मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा है जिसमें जल्द गन्ना भुगतान कराने की मांग की है। किसानों का आरोप है कि चीनी मिल के अधिकारी गन्ना भुगतान के संबंध में कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं। चीनी मिल के उपाध्यक्ष मनदीप सिंह ने बताया कि शासन स्तर पर गन्ना भुगतान संबंधी बातचीत चल रही है। जल्दी किसानों को दिया जाएगा।