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लखीमपुर खेरी

…और आखिरकार दर्ज होगा पूर्व डीपीआरओ पर गबन का मुकदमा

डीएम की रिपोर्ट पर शासन से निर्देश मिलने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है…

लखीमपुर खेरीJul 16, 2018 / 07:59 am

नितिन श्रीवास्तव

Fraud case of DPRO in Lakhimpur Kheri UP news

…और आखिरकार दर्ज होगा पूर्व डीपीआरओ पर गबन का मुकदमा

लखीमपुर खीरी. विकास भवन में स्थित जिला पंचायती राज विभाग में वर्ष 2017 में हुए एक 31 लाख रुपये के गबन के मामले में आखिरकार पूर्व डीपीआरओ सुनील पांडे पर सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज हो ही गई। इस मामले में पूर्व डीपीआरओ को शाहजहांपुर में तैनाती के दौरान निलंबित कर दिया गया था। सरकारी धन के दुरुपयोग के गंभीर मामले में डीपीआरओ चंद्रिका प्रसाद की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और डीपीआरओ सुरेश पांडे पर पिछले वित्तीय में विकास भवन की शाखा इलाहाबाद बैंक डीपीआरओ पद नाम के खाते में 31 लाख रुपये ट्रांसफर कराने का आरोप है।
दर्ज कराई गई रिपोर्ट

तत्कालीन सीडीओ अमित बंसल की जांच में इसकी पुष्टि हुई थी कि पिछले वर्ष फरवरी से लेकर जून तक डेढ़ लाख से ढाई लाख तक की अपने खाते में ट्रांसफर कराया था। पूरे मामले में तत्कालीन लेखाकार भी दोषी पाए गये थे। जिन्हें भी वहां से हटा दिया गया था। गबन मामले की पूरी जांच रिपोर्ट सीडीओ अमित बंसल ने जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह को सौंप दी थी। वही इस मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद का मामला फिर सुर्खियों में आ गया है। सीडीओ चंद्रिका प्रसाद ने बताया कि डीएम की रिपोर्ट पर शासन से निर्देश मिलने के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
चर्चा में था पंचायती राज से लगी सोलर लाइट का मामला

पूर्व डीपीआरओ के कार्यकाल में ग्राम पंचायतों में लगवाई गई। सोलर लाइटों का मामला भी उजागर हुआ था। पूर्व सीडीओ की जांच में यह भी पुष्टि हुई थी। कि शासनादेश में नेडा से सोलर लाइट लगाने की अनुमति दी गई थी। जबकि खीरी जिले के ग्राम पंचायतों में प्राइवेट संस्था को सोलर लाइट लगाने के लिए अधिकृत कर लिया दिया गया था सोलर लाइटों की गुणवत्ता में भी कमी पाई गई थी। इतना ही नही एक सोलर लाइट को बाजार से आठ सौ से नौ सौ रुपये में खरीद कर ग्राम पंचायतों से बीस से पच्चीस हजार रुपये का भुगतान किया गया। पूरे मामले में ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी भी दोषी पाए गए थे। उस समय पर ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार की टीम ने जिले की ग्राम पंचायतों में पहुंचकर खुद जांच की थी।

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