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लखीमपुर खेरी

प्रसव के दौरान होने वाली मौतों में गिरावट, हर महीने एक हजार कम मौतें

भारतीय रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के मुताबिक पहले की तुलना में प्रसूताओं की मृत्यु दर में एक हजार कम की संख्या में गिरावट दर्ज की गई

लखीमपुर खेरीMay 14, 2019 / 05:07 pm

Karishma Lalwani

pregnent

प्रसव के दौरान होने वाली मौतों में गिरावट, हर महीने एक हजार कम मौतें

लखनऊ. महिलाओं के जीवन के महत्वपूर्ण पलों में से एक होता है गर्भावस्था। यह वह क्षण होता है जब महिला अपने भीतर एक और जिंदगी पालती है। इस खूबसूरत प्रक्रिया में महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। कई बार मुश्किल इतनी बढ़ जाती है कि डिलीवरी के दौरान ही कुछ महिलाएं दम तोड़ देती हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में हर साल 46 फीसदी महिलाओं की मौत डिलीवरी वाले दिन ही हो जाती है। वहीं एक अन्य आंकड़े के मुताबिक पहले की तुलना में प्रसूताओं की मृत्यु में एक हजार कम की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
एक साल में 11 हजार से अधिक प्रसूताओं की मौत

यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में हर साल 60 लाख डिलीवरी होती है। इनमें 70 फीसदी महिलाओं की देखरेख अस्पतालों में होती है जबकि अन्य की घरों में दाइयों के हाथ होती है। एक साल में तकरीबन 11,500 प्रसूताओं की डिलीवरी के दौरान ही मौत हो जाती है।
भारत के एमआर में बड़ी कमी

पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश के कई अस्पतालों में डिलीवरी और एमआर कम करने में बड़ी संख्या में कमी दर्ज की गई है। 2005-06 के आंकड़ों के अनुसार, 22 फीसदी डिलीवरी अस्पतालों में होती थी।दस साल के अंतराल में इस आंकड़े में 46 फीसदी वृद्धि हुई।वहीं बात अगर प्रसूताओं की मौत की करें, तो 2005-06 में प्रसूताओं की मौत का आंकड़े में 285 प्रति लाख डिलीवरी से घटकर 201 हो गया।
भारतीय रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के मातृत्व मृत्यु दर (एमएमआर) के 2018 के आंकड़ों के मुताबिक प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु में तेजी से कमी आई है।रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ कि पहले की तुलना में अस्पतालों में महिलाओं की डिलीवरी का आंकड़ा बढ़ा है।2011-12 में प्रसव के दौरान 167 महिलाओं की मौत हुई।2013 में एमएमआर में 22 प्रतिशत कमी आई।रजिस्ट्रार के मुताबिक 130 महिलाओं की मौत 2013 में प्रसव के दौरान हुई।एमएमआर में कमी इस बात का संकेत है कि गर्भावस्था व प्रसव संबंधी समस्याओं से हर महीने एक हजार की कमी आई है।
यह है मौत का कारण

अस्पतालों के मुकाबले घर में प्रसूताओं की मौत ज्यादा होती है। यह कहना है यूनिसेफ के कम्यूनिटी मेडिसिन के एक्सपर्ट और हेल्थ ऑफिसर डॉ. प्रशांत का। प्रसूताओं की मौत का कारण है अत्यधिक रक्तस्नाव। अगर रक्तस्नाव शुरू होने के एक घंटे के भीतर प्रसूता को इलाज न मिले, तो इससे उसकी जान को खतरा बढ़ जाता है।

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