समूह के खाते में जमा करती हैं
हलांकि सरकार ने यहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाकर मदद पहुंचाने की भी कोशिश की है, जिसके जरिए महिलाएं समूह बनाकर उत्पाद बनाती हैं और अपने उत्पाद बेचकर समूह के खाते में जमा करती हैं।
जिलाधिकारी किंजल सिंह ने दिखाया था नया रास्ता
बताते चलें कि जिला खीरी में पूर्व में रहीं जिलाधिकारी किंजल सिंह ने थारू महिला उत्थान के लिए तमाम प्रयास किए थे, जिसके तहत महिलाओं में आत्मविश्वास बड़ा था। उन्होंने गोवा महोत्सव जैसे बड़े आयोजनों में भी यहां की महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पादों का स्टाल लगवा कर उनमें नया जोश भर दिया था। इतना ही नहीं उस स्टाइल पर यहां से ले जाया गया सारा सामान हाथों हाथ बिक भी गया था, जिसमें महिलाओं को लगभग 2 लाख से भी अधिक रुपए की बचत हुई थी। हालांकि उनका स्थानांतरण होने के बाद पुन: किसी जिलाधिकारी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया, जिससे एक बार फिर थारू महिलाओं में हताशा नजर आई है।
हथकरघा उद्योग में माहिर आरती राणा को पूर्व की प्रदेश सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। आरती राणा ने ही गोवा में अपने हाथों से तैयार किए गए उत्पादों को बेचकर 2 लाख से भी अधिक रुपए का लाभ कमाकर समूह की महिलाओं को लाभांवित किया था। आरती राणा बताती हैं कि जिलाधिकारी किंजल सिंह द्वारा उनसे खरीद लेती है।
22 जनवरी को लखनऊ में लगने वाले अवध शिल्प ग्राम में भी लगेगी हथकरघा समूह की दुकानें
आरती राणा ने बताया कि 22 जनवरी को लखनऊ के गोमतीनगर में अवध शिल्प ग्राम का उद्घाटन राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा है, जिसमें थारु हथकरघा समूह की दो दुकानें आवंटित की गई हैं। किन दुकानों पर हथकरघा समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया गया, घरेलू सामान बिक्री किया जाएगा।