भ्रष्टाचार का गढ़ बना रजिस्ट्रार कार्यालय ललितपुर तहसील की पुरानी तहसील में बना रजिस्ट्रार कार्यालय रजिस्ट्री लेखक और अधिकारियों की जुगलबंदी से भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है। आए दिन जमीनों और मकानों की रजिस्ट्री, एग्रीमेंट और बसीयतनामा को रजिस्ट्रड करने के नाम पर अनपढ़ किसानों, क्रेताओं का जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है। यह पूरा खेल रजिस्ट्रार के संरक्षण में रजिस्ट्ररी लेखक कर रहे हैं। क्रेताओं से खरीदी गई सम्पत्ति की मालकियत का 1 से 2 प्रतिशत हजारों में होता है। अन्दर के खर्च के नाम से वसूलकर रजिस्ट्रार तक पहुंचाए जा रहे हैं। कार्यालय के अन्दर सरकारी रसीद पर भी प्रति रसीद 200 रुपये अलग से लिया जाता है। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ बुन्देलखण्ड किसान यूनियन ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर कार्यवाही की मांग उठाई थी।
भ्रष्टाचार खत्म करने की अपील किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष विश्वनाथ यादव ने जिलाधिकारी से कार्यालय में फैले भ्रष्टाचार खत्म करने की अपील की। हालांकि, रजिस्ट्रार ने खुद पर लगे आरोपों को गलत बताया है। पीड़ित धर्मेन्द्र गौस्वामी ने छोटे से प्लाट की रजिस्ट्ररी अपनी पत्नी के नाम से कराई थी। उन्होंने बताया कि उससे बीस हजार रुपया अनिल नायक को दिये थे। लिये गये प्लाट पर मात्र 9500 रुपये के स्टाम्प और 4800 रसीद के बाद बचे लगभग 4700 रुपए अन्दर के खर्च के नाम से लिये गये थे।