आश्रय स्थल के संचालन के लिए किया जाएगा समिति का गठन
उक्त आश्रय स्थल के विकास के लिए सुश्री उमा भारती , मा0 मंत्री पेयजल एवं स्वच्छता, भारत सरकार सांसद झांसी-ललितपुर ने 25 लाख रूपए की धनराशि सांसद निधि से जारी करने की स्वीकृति प्रदान की। इसके साथ ही जनपद ललितपुर में स्थित बजाज पावर प्लान्ट द्वारा भी 25 लाख की धनराशि सी0एस0आर0 के माध्यम से गोवंश आश्रय स्थल के विकास के लिए प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही जिलाधिकारी द्वारा उक्त गोवंश आश्रय स्थल के संचालन एवं रखरखाव के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जिसमें जनपद के ऐसे गोवंश प्रेमी ग्यारह रूपए का सहयोग प्रदान कर आजीवन सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। इस संकलित धनराशि का उपभोग गोवंश आश्रय स्थल, कल्यानपुरा के प्रबंधन, रखरखाव एवं आवासित गोवंश हेतु किया जाएगा।
गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण
जनपद ललितपुर में अन्ना गोवंश की समस्या से मुक्ति दिलाने हेतु माॅडल के रूप में चारागाह स्थल कल्यानपुरा, विकसखण्ड विरधा, तहसील व जनपद ललितपुर में गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण किया जाना है। उक्त आश्रय स्थल का कुल क्षेत्रफल 59.00 हेक्टेयर है, जिसमें से एक तिहाई भाग पर गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण किया जाना है तथा दो तिहाई भाग पर गोवंश के चारा हेतु चारागाह विकसित किया जाएगा। अन्ना पशुओं की समस्या बुन्देलखण्ड की एक प्रमुख समस्या है, जिसका प्रभावी निराकरण किया जाना आवश्यक है। अन्ना पशुओं की समस्या के निवारण के उपरान्त प्रत्येक ग्राम में गायों की दुग्ध उत्पादन की क्षमता पूर्व की अपेक्षा अधिक विकसित होगी, जिससे गोवंश पालकों को आर्थिक समस्या से छुटकारा मिलेगा और देश की आर्थिक स्थिति में भी विकास होगा।
कुछ ऐसी बनेगी गौशाला
इस गोवंश आश्रय में लगभग चार हजार गोवंश के आश्रय की व्यवस्था हेतु गोवंश शेडों का निर्माण किया जाना है, जिसमें से प्रत्येक की लम्बाई 66 फीट तथा चैड़ाई 26 फीट होगी। इस शेड में मेंजर (चरही) का भी निर्माण किया जाएगा। इस आश्रय में गोवंश हेतु भूसा रखने के लिए एक भूसा गौदाम का भी निर्माण किया जा रहा है, जिसकी लम्बाई 51 फीट तथा चैड़ाई 22 फीट होगी। गोवंश को पानी पीने के लिए एक चरही का भी निर्माण किया जाएगा। शुद्ध पेयजल के लिए एक पम्पहाउस, बोरिंग, जेनेरेटर तथा समरसेवल्स भी लगायी जाएगी, जिससे पानी की सप्लाई चरही तक पूर्ण रूप से हो सके। इसके साथ ही इस चारागाह से लगी हुई पानी की एक झील है, जिसमें वर्ष में लगभग 10 माह पानी रहता है। इसी झील से लगी चारागाह की भूमि पर तालाब खुदवाकर जल संरक्षण किया जाएगा, जिससे पशु लगभग 08 से 10 माह तक इस तालाब से पानी पी सकेंगे।
पशुओं की नस्लों में किया जाएगा सुधार
गोवंश आश्रय के लिए चिन्हित चारागाह, जिसका क्षेत्रफल 59 हेक्टेयर है, में दो तिहाई हिस्से की मानसून में विभिन्न प्रकार की घासेें लगाई जायेंगी, जो कि अन्जनी, धामन, दीनानाथ आदि विभिन्न प्रकार की किस्मों की होंगी। यह घांसे एक वर्ष में तैयार हो जायेंगी, जिससे अन्ना गोवंश चारागाह की घास को चरने के लिए स्वतंत्र होगें। इस आश्रय स्थल में नस्ल सुधार का कार्य भी किया जाएगा। अन्ना गोवंश में शामिल सभी बछड़ों साड़ों का पूर्व में बधियाकरण किया जाएगा। पशुपालन विभाग द्वारा इस चारागाह में उन्नत प्रजाति के साड़ों (जैसे एच0एफ0, थारपारकर और साहीवाल) को गायों के मध्य रखा जाएगा, जिससे पशुओं की नस्लों में सुधार होगा।
ये लोग रहे मौजूद
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी के साथ मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 एस0के0 शाक्य, खण्ड विकास अधिकारी, विरधा, जिला सूचना अधिकारी पीयूष चन्द्र राय एवं कार्यदायी संस्था के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।