आचार्य ने लगभग 32 वर्ष पूर्व जनपद में एक गौशाला का निर्माण कराया था, जिसमें लगभग आज 700 गाय हैं। शायद उन्हें गायों की ऐसी दुर्दशा का पूर्वानुमान हो गया है। देश की हिंदी संस्कृति को बढ़ाने के उद्देश्य से आचार्य द्वारा बेटियों को पढ़ाने के लिए ऐसे धार्मिक क्षेत्र में आवासीय प्रतिभा स्थली ज्ञानोदय केंद्र खोले जा रहे हैं, जिसमें लड़कियों को धर्म के साथ उच्च शिक्षा एवं संस्कार दिए जाएंगे। साथ ही अपनी मूल संस्कृति से जुड़े रहने एवं पाश्चात्य संस्कृति में ना जाने के सिद्धांतों पर चलने की शिक्षा दी जाएगी।
इस पदयात्रा को जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया लगभग 5000 लोगों की इस पदयात्रा में सभी धर्म श्रेस्टियो का सहयोग है। यह धर्म पदयात्रा साथ मई को सुबह पपौरा टीकमगढ़ पहुंचेगी जहां सभी पद यात्रियों को आचार्य श्री का आशीर्वाद एवं प्रवचन सुनने को मिलेंगे।
इस कार्यक्रम के बारे में एक जलील खान ने बताया कि उनकी श्रद्धा आचार्य के प्रति उस समय जागी जब वह पहले ललितपुर आये थे। उन्होंने जीव रक्षा के प्रति अपना वक्तव्य दिया था। हमें ऐसी आशा है कि जब हम इस पद यात्रा के माध्यम से मुनि को श्रीफल भेंट करेंगे, तो उनके चरण इस नगरी में पुनः पड़ेगें। इस बारे में कल्पनित सिंह लोधी ने बताया कि में पिछले लगभग 20 वर्षों से आचार्य के साथ जुड़ा हुआ हूँ। जब एक बार रास्ते में उनके विहार में सम्मलित हुआ और उनका जीव के उत्थान के प्रबचन सुना तो मैंने भी कुछ त्याग करने का मन बनाया। जब से में आचार्य के भक्तों में शामिल हो गया हूँ। जैन धर्म पर आज सभी की श्रद्धा है ।