मामला सदर कोतवाली क्षेत्र कचहरी परिसर वार रूम का है जहां रामशरण श्रीवास्तव और प्रभुदयाल श्रीवास्तव दो अधिवक्ता भाइयों के बीच पैतृक संपत्ति का विवाद चल रहा था जो न्यायालय में लम्बीत था और न्यायालय का फैसला आया था जो रामशरण श्रीवास्तव के पक्ष में नहीं आया। जिस कारण वह काफी दुखी हुए और न्यायालय का फैसला आने के बाद वह कचहरी परिसर में स्थित अपने चेंबर में चले गए तथा वहीं पर उन्होंने विषाक्त पदार्थ का सेवन कर लिया।
जब कुछ उनके साथी गण उनके चेंबर में पहुंची तो वह बेहोश अवस्था में पड़े हुए थे आनन-फानन में उठाकर उन्हें जिला चिकित्सालय लाया गया जहां पर तैनात डॉक्टरों ने डॉक्टरी परीक्षण के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। अधिवक्ता ने मौत से पहले 21 पेज का सुसाइड नोट अपनी जेब में रखा हुआ था जिसमें अपनी मौत का जिम्मेदार अपने बड़े भाई प्रभुदयाल श्रीवास्तव एडवोकेट को बताया है। इस पूरे मामले पर वह अपनों की बेरुखी एवं अप्रत्याशित व्यवहार के आगे हार गए थे जिससे उन्होंने मौत को गले लगा लिया।
ये भी पढ़ें – डायल 112 में कार्यरत महिला पुलिसकर्मी ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस
सुसाइड नोट पर मृतक ने बड़े भाई को ठहराया जिम्मेदार
सुसाइड नोट पर मृतक ने अपने बड़े भाई प्रभुदयाल श्रीवास्तव एवं भतीजे सिद्धार्थ श्रीवास्तव सहित अन्य कई लोगों पर अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है एवं कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है। सुसाइड नोट में उन्होंने यह भी जिक्र किया कि उनके भाई भतीजे द्वारा उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था और उन पर कई तरह से दबाव बनाया जा रहा था जिनसे वह मानसिक उत्पीड़न थे उन्होंने इस आत्महत्या को उनके द्वारा मर्डर करार दिया गया है और कठोर से कठोर सजा की मांग भी की है। तो वहीं उनकी भतीजी ने भी उनकी मौत का जिम्मेदार अपने ही रिश्तेदारों को ठहराया है।