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ललितपुर

बैंकों में नहीं हो पा रहा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन, खुलेआम उड़ाई जा रहीं धज्जियां, जिम्मेदार बने मूक दर्शक

प्रशासनिक शर्तों पर लॉकडाउन खुलते ही लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत पैसे की पड़ी और पैसा निकालने के लिए बैंकों में भीड़ उमड़ पड़ी।

ललितपुरMay 05, 2020 / 06:54 pm

Neeraj Patel

बैंकों में नहीं हो पा रहा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन, खुलेआम उड़ाई जा रहीं धज्जियां, जिम्मेदार बने मूक दर्शक

बैंकों में नहीं हो पा रहा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन, खुलेआम उड़ाई जा रहीं धज्जियां, जिम्मेदार बने मूक दर्शक

ललितपुर. प्रशासनिक शर्तों पर लॉकडाउन खुलते ही लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत पैसे की पड़ी और पैसा निकालने के लिए बैंकों में भीड़ उमड़ पड़ी। जिससे बैंक प्रशासन सकते में आ गया और वह सोशल डिस्टेंस का पालन अपने ग्राहकों से नहीं करवा पा रहा। बैंक के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बताते चलें कि जनपद में मौत रूपी महामारी कोरोना वायरस को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट है और जनता के बीच लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए लगातार सलाह दे रहे हैं। वहीं जनपद में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र कस्बा मड़ावरा में बैंकों के बाहर भीड़ लगनी आम बात हो गई है। पीएनबी बैंक शाखा के बाहर इस तरह का नजारा देखा गया।

लॉकडाउन में भी जमा निकासी के लिए जिस तरह से बड़ी संख्या में लोग बैंकों में पहुंच रहे हैं उसके चलते बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेसिंग नहीं बन पा रही है। इसके साथ ही जो लोग बैंक पहुंचकर अपना नम्बर आने का इंतजार कर रहे हैं वे भी एक साथ एक ही स्थान पर बैठकर शारीरिक दूरी की धज्जियां उड़ा रहे हैं। जानकारों द्वारा समझाने का भी इन पर कोई खास असर नहीं हो रहा है। यहां क्षेत्र के अनेक ग्रामो से आये लोग बैंक के बाहर बगैर शारीरिक दूरी के आस पास बैठे देखे गए। ऐसा लगा कि न इनको किसी संक्रमण का यहां कोई भय है और न ही इनको कोई यहां इस कृत्य से रोकने वाला है।

लॉकडाउन के बावजूद भी पिछले दिनों से बैंकों में जमा निकासी के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। जनधन खाता धारकों के साथ ही श्रमिक व अन्य योजनाओं में जिन खाताधारकों के खातों में पैसा आया है वे बैंकों में बराबर पहुंच रहे है। यही कारण है कि कस्बे सहित ग्रामीण इलाकों में मौजूद बैंक शाखाओ में सुबह 10 बजे बैंक खुलने से पहले ही यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच जाते हैं।

हालांकि बैंकों के अन्दर तो एक साथ अधिक लोगों को नही जाने दिया जा रहा है लेकिन लोग बाहर परिसर में एक दूजे से चिपके हुए अक्सर देखे जाते है। बैंकों के बाहर यहां कोई नियम न लागू होने से उनमें सोशल डिस्टेसिंग का कोई मायने नहीं रहे। लोग एक दूसरे के बिलकुल पास खड़े होकर सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं, और जिम्मेदार सब कुछ जानकर भी यहां अनजान बने नजर आ रहे हैं।

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