कोतवाली में नहीं दर्ज हुई थी पीड़ित की रिपोर्ट जब पीड़ित की नाबालिग बेटी का अपहरण कोतवाली तालबेहट के अंतर्गत एक गांव से उस समय कर लिया गया था जब वह अपनी एक रिश्तेदारी में गई हुई थी। जैसे ही परिजनों को इस अपहरण की सूचना मिली उसने थाने कोतवाली के चक्कर लगाना शुरू कर दिए एवं लिखित रूप से तहरीर देकर गांव के दबंग युवकों पर अपहरण का आरोप भी लगाया था । मगर कोतवाली तालबेहट में उसकी तहरीर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई उल्टा उसे कोतवाली से डाट डपटकर भगा दिया गया था। उसके बाद वह शहर सदर कोतवाली में अपना प्रार्थना पत्र लेकर आया था वहां पर भी उसे यह कहकर चलता कर दिया था कि मामला कोतवाली तालबेहट थाना क्षेत्र का है तुम्हारी रिपोर्ट वहीं पर दर्ज की जाएगी। उसके बाद पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक के यहां भी एक प्रार्थना पत्र दिया था मगर उस प्रार्थना पत्र का कुछ पता नहीं क्या हुआ। इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही थी इसलिए मजबूर होकर पीड़ित ने अदालत की शरण ली।
अदालत के आदेश पर हुआ मामला मामला पंजीकृत पीड़ित ने जब सभी जगह कानून का दरवाजा खटखटाया और उसे कहीं से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं दिखी तब उसने आखिर में जाकर न्याय के मंदिर न्यायालय की शरण ली और न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देकर पूरे मामले से अवगत कराया।न्यायालय ने पूरे मामले को संज्ञान में लेकर कोतवाली तालबेहट को मामला पंजीकृत करने का आदेश दिया और पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर मामला पंजीकृत भी कर लिया। अब देखना यह है कि इस मामले में पुलिस आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है क्या पीड़ित को न्याय मिलता है या फिर वह यूं ही न्याय की तलाश में भटकता रहेगा।
संगीन अपराधों में पुलिस करती है हिला हवाली अपहरण और बलात्कार जैसे मामलों में पुलिस आमतौर पर मामले दर्ज नहीं करती।अधिकतर मामलों में पीड़ितों को न्यायालय की शरण में ही जाना पड़ता है आलम यह है कि कई मामले तो न्यायालय के आदेश पर ही दर्ज किए जाते हैं। पुलिस रिकॉर्ड में ऐसे कई संगीन अपराध देखने को मिल जाएंगे जो किसी थाना या कोतवाली पुलिस ने दर्ज नहीं किए बल्कि अदालत के आदेश पर वह मामले दर्ज किए गए।