scriptPNB Scam: CVC की मानी होती बात, नहीं होता 13,600 करोड़ रुपए का घोटाला | a year before pnb scam CVC had raised alarm over irregularities | Patrika News
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PNB Scam: CVC की मानी होती बात, नहीं होता 13,600 करोड़ रुपए का घोटाला

CVC ने 5 जनवरी 2017 को CBI, ED के वरिष्ठ अधिकारियों और पंजाब नेशनल बैंक सहित 10 प्रमुख बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के साथ बैठबैठक की थी।

Apr 09, 2018 / 10:28 am

Saurabh Sharma

Nirav modi

नई दिल्‍ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने पीएनबी घोटाला सामने से एक साल पहले ही अपनी रिपोर्ट में ज्‍वेलरी क्षेत्र में होने वाली गड़बडि़यों को आगाह किया था। अगर सीवीसी की बातों को मान लिया गया होता तो पीएनबी का घोटाला ना हुआ होता। जानकारी के मुताबिक आयोग ने 5 जनवरी 2017 को सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों और पंजाब नेशनल बैंक सहित 10 प्रमुख बैंकों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के साथ बैठक की थी। जिसमें कुछ ज्वैलरी कंपनियों खासतौर से जतिन मेहता के विनसम ग्रुप के खातों की अनियमितताओं के बारे में बातचीत की गई थी। लेकिन बैठक के बाद भी लगातार लापरवाही बरती गई और साल 2018 में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किए गए 13,600 करोड़ रुपए के घोटाले के सामने आ गया।

बैठक में उठा था मुद्दा
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की रिपोर्ट में पीएनबी प्रबंधन की ओर से हुई बड़ी चूक की ओर इशारा कर रही है। सतर्कता आयोग के कमिश्नर केवी चौधरी के मुताबिक बैठक खासतौर से विनसन ग्रुप के जतिन मेहता द्वारा बैंकों में किए गए फ्रॉड पर बातचीत करने के लिए बुलाई गई थी। बैठक में आभूषण कंपनियों द्वारा धोखाधड़ी से जुड़े कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई थी। उस समय हालांकि मेहुल-मोदी के फ्रॉड की बात सामने नहीं आई थी लेकिन पीएनबी उन बैंकों में सबसे आगे था जिसने मेहता को कर्ज दिया था।

गैर जमानती वारंट जारी
मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। इससे पहले पीएनबी धोखाधड़ी केस के संबंध में सीबीआई ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एचआर खान से पूछताछ की थी। यूपीए सरकार के दौरान सोना आयात नीति में छूट दी गई थी, जिससे भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव और मेहुल को फायदा पहुंचा था।

ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि पीएनबी को मौजूदा समय में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किए गए घोटाले से जूझना पड़ा रहा है। दोनों ने कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर गैर-कानूनी तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) का नवीनीकरण कराकर बैंकों से रुपया लिया। बाद में दोनों ही अपने परिवार के साथ जनवरी के पहले सप्‍ताह में विदेश भाग गए। जिसके बाद दोनों के ऊपर केस दर्ज किया गया।

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