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अमरीका व लंदन की इन कंपनियों ने दिया नरेश गोयल का साथ, क्या जेट एयरवेज में होगी वापसी ?

अमरीकी कंपनी डेलावेयर आैर फ्युचर ट्रेंड कैपिटल कर सकते हैं नरेश गाेयल की मदद।
जेटएयर अौर फ्युचर ट्रेंड कैपिटल के कंसाॅर्टियम ने जेट एयरवेज के लिए लगार्इ बोली।
कंपनी में वापसी को लेकर अभी भी खुले हैं नरेश गोयल के लिए रास्ते।

नई दिल्लीApr 15, 2019 / 10:07 am

Ashutosh Verma

Jet Airways

अमरीका व लंदन की इन कंपनियों ने दिया नरेश गोयल का साथ, क्या जेट एयरवेज में होगी वापसी ?

नर्इ दिल्ली। वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही देश की पहली प्राइवेट विमान कंपनी जेट एेयरवेज को उबारने के लिए अमरीकी कंपनी डेलावेयर ( Delaware) आैर फ्युचर ट्रेंड कैपिटल ( Future Trend Capital ) संस्थापक नेरश गोयल की मदद कर सकते हैं। बीतें दिनों में जेट एयरवेज के लिए कर्इ एेसी घटानांए हुर्इ है जो उसके भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं। इनमें कर्मचारियों की सैलरी, वित्तीय संकट, विमान की संख्या में कटौती भी शामिल है। नरेश गोयल की जेटएयर ( Jetair ) एक जनरल सेल्स एजेंसी कंपनी है जिसने जेट एयरवेज को लाॅन्च किया था।


इन फर्म्स के कंसाॅर्टियम कर रह नरेश गोयल की मदद

गत शुक्रवार को करीब 6 बजे जेटएयर-फ्युचर ट्रेंड कैपिटल के कंसाॅर्टियम ने बोली लगार्इ थी। एेसे में जेट एयरवेज के उधारकर्ता, निवेशकों की खोज में अन्य बातों के साथ इस बात का भी ख्याल रख सकते हैं। हालांकि, फ्युचर ट्रेंड कैपिटल के बारे में बहुत कुछ नहीं पता है, लेकिन इसे लेकर एक बात साफ कहा जा रहा है कि इस कंपनी के प्रस्ताव के बाद जेट एयरवेज काे संजीवनी मिल सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आदी पार्टनर्स नाम की लंदन की एक फर्म भी इस कंसाॅर्टियम से जुड़ी हुर्इ है।


कंपनी बोर्ड में वापसी के लिए नरेश गोयल के पास अभी भी मौका

बिडिंग डाॅक्युमेंट के प्रस्तावों में शर्तों को देखें तो एक निवेशक के पास कम से कम 1,000 करोड़ रुपए का नेटवर्थ होना चाहिए। साथ ही 1,000 करोड़ रुपए आैर फंड जेट में निवेश करने के लिए भी होना चाहिए। एक बैंकर के मुताबिक, तकनीकी रूप से एेसी कोर्इ बात नहीं है जो नरेश गोयल को बिडिंग प्रोसेस में भाग लेने से राेक सकता है। फाॅरेसिंक रिपोर्ट भी अभी तक उनके खिलाफ नहीं है। एक बात यह भी है कि जेट एयरवेज दिवालिया के प्रक्रिया के तहत भी नहीं है कि जिसमें प्रोमोटर को दोबारा कदम रखने की गुंजाइश नही हो। लेकिन, कंपनी के बोर्ड से एक बार बाहर करने के बाद अब सबकुछ बैंकों पर निर्भर करता है। साल 1974 में जेटएयर की स्थापना जनरल सेल्स एजेंसी ( GSA ) के तौर पर हुर्इ थी जिसने 1990 में जेट एयरवेज को लाॅन्च करने से पहले करीब 17 वैश्विक विमान कंपनियों का प्रतिनिधित्व किया था। जेटएयर की वेबसाइट के मुताबिक, कंपनी की मौजूदा रूचि जेटएयर टूअर आैर जेट फ्लीट में है जोकि एक कार रेंटल सेवा है।


क्या निवेशकों का ग्रुप विकल्प हो सकता है ?

कुछ जानकारों के मुताबिक, जेट एयरवेज को रिवाइव करने का एक विकल्प यह हो सकता है कि इसके लिए निवेशकों के एक समूह को लाया जाए। एतिहाद एयरवेज ( Etihad Airways ), नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, टीपीजी कैपिटल जैसे प्रोइवेट इक्विटी फंड या इंडिगो पार्टनरशिप भी एक विकल्प हो सकता है। इन सभी ने जेट एयरवेज में 24 फीसदी या उससे कम का निवेश किया है। हालांकि, एतिहाद ने पहले ही साफ कर दिया है कि वो जेट एयरवेज में 24 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी नहीं लेगा। जेट एयरवेज ने कहा है कि वो 25 फीसदी तक अपनी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाना चाहता क्योंकि इसके बाद 20 फीसदी के आेपेन आॅफर की भी जरूरत होगी। साथ वो 49 फीसदी हिस्सेदारी को भी पार करने के मूड में नहीं है, जो कि किसी भी विदेशी विमान कंपनी का देसी विमान कंपनी में निवेश करने की अधिकतम स्तर है।


अंतरिम फंडिंग

उधारकर्ता इस ताक में भी हैं कि जेट एयरवेज के सीर्इआे विनय दुबे अंतरिम फंड के तहत 1,000 करोड़ रुपए जारी कर दें। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक के 12 फरवरी 2018 के सर्कुलर को खारिज कर दिया जिसपर जेट एयरवेज का रिवाइवल प्लान स्ट्रक्चर किया गया था। बैंक लोन को 1 रुपए की इक्विटी में कन्वर्ट करने का भी प्रयास कर रहे हैं। आरबीआर्इ के दिशानिर्देशों में इस बात का प्रावधान है कि यदि कोर्इ कंपनी अपनी नेट वर्थ गवां देती है तो उसके लिए इस विकल्प का सहारा लिया जा सकता है। गत शुक्रवार को दिनभर के काराेबार के बाद जेट एयरेवज के शेयर्स बाॅम्बे स्टाॅक एक्सचेंज ( BSE ) पर 260.45 रुपए प्रति शेयर के स्तर पर बंद हुए।


केवल 7 विमान ही भर रहे उड़ान

जेट एयरवेज फिलहाल अपने घरेलू रूट्स पर 6 एटीआर टर्बेप्राॅप प्लेन आैर एक बोइंग 737 का इस्तेमाल कर रही है। कंपनी के पास दिसंबर तक कुल 124 विमान थे। गत रविवार को को नेशनल एविएटर्स एजेंसी (NGA) से संबंधित करीब 1100 पायलटों ने आज यानी सोमवार (15 अप्रैल) सुबह 10 बजे से उड़ान नहीं भरने का फैसला लिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने इस फैसले को टाल दिया। पायलटों ने इस बात की उम्मीद जतार्इ है कि सोमवार को होने वाले बैठक में उधारकर्ता कुछ फंड जारी कर सकते हैं। साथ में उन्होंने यह भी फैसला किया है कि पायलट व अन्य क्रु मेंबर्स सोमवार को मुंबर्इ में जेट के काॅर्पोरेट आॅफिस के बाहर जमा होंगे। शुक्रवार को भी कर्मचारियों ने भी एेसा ही प्रदर्शन किया था।

 

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