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जल्द होगा BPCL का निजीकरण, सरकार बेच रही अपनी हिस्सेदारी

बीपीसीएल के राष्ट्रीयकरण कानून को 2016 में ही रद्द कर चुकी है सरकार
RIL बीपीसीएल में अपनी बोली लगा सकती है

नई दिल्लीOct 06, 2019 / 03:44 pm

Shivani Sharma

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड में अपनी पूरे हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है। इस हिस्सेदारी को बेचने के बाद यह कंपनी पूरी तरह से निजी हाथों में चली जाएगी। हाल ही में खबर सामने आई है कि सरकार ने चुपके से कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया है, जिसके कारण अब कंपनी को बेचने से पहले संसद से मंजूरी लेने की आवश्यक्ता नहीं है।


समाप्त हुआ पुराना कानून

आपको बता दें कि पहले खबर आ रही थी कि बीपीसीएल का निजीकरण करने के लिए सरकार को संसद की मंजूरी लेनी होगी। निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है। इसमें 1976 कानून भी शामिल है जिसके जरिए पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था।


सरकार ने बेची हिस्सेदारी

एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि इस कानून को समाप्त कर दिया गया है। ऐसे में बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके। इसी के मद्देनजर सरकार बीप़ीसीएल में अपनी समूची 53.3 फीसदी हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है।


सरकार को मिलेंगे 60 हजार करोड़ रुपए

बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है। वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है। इसके अलावा बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपय के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी। चार अक्टूबर को बाजार बंद होने के समय बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 1.11 लाख करोड़ रुपये था। बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचकर सरकार को 60,000 करोड़ रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं। इसमें नियंत्रण तथा ईंधन बाजार प्रवेश प्रीमियम भी शामिल है।


हाई कोर्ट ने जारी किया था नियम

उच्चतम न्यायालय ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिए ही किया जा सकता है। संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि अब उच्चतम न्यायालय की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है।

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