सिंह भाइयों पर बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी करने का आरोप
शिकायत में कहा गया है कि कंपनी व रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड ( RFL ) नाम की एक अन्य सहायक कंपनी में धोखाधड़ी किया गया व साथ ही कंपनी के सैकड़ों करोड़ रुपए की वित्तीय लेनदेन किए गए जिनका कोई हिसाब नहीं है। इस शिकायत में सिंह भाइयों पर आरोप लगाया गया है कि ये दोनों भाई ही साल 2016 में शुरू हुई फ्रॉड वित्तीय लेनदेन के कर्ता-धर्ता रहे हैं। इस शिकायत में कहा गया है कि दोनों भाइयों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से एक बड़े पैमाने में वित्तीय लेनदेन को अंजाम दिया है। शिकायत में मांग की गई है कि पूरे मामले की जांच हो और उनकी संपत्तियां जब्त की जाए।
दोनों भाइयों व अन्य आरोपियों के खिलाफ कॉरपोरेट मंत्रालय में की गई थी शिकायत
गौरतलब है कि, सिंह भाइ फरवरी 2018 तक कंपनी के प्रोमोटर्स थे। चूंकि, आरएफएल एक सहायक कंपनी थी, इसलिए दोनों भाईयों ने इस कंपनी के प्रबंधन को व्यापक रूप से प्रभावित करते थे। शिकायत में आगे कहा गया है कि आरईएल का मानना है, जिससे आरएफएल भी सहमत है कि सिंह भाइयों व सुनिल गोधवानी ने दोनों कंपनियों में बड़े रकम का गबन किया और कॉरपोरेट धोखाधड़ी को अंजाम दिया। दोनों कंपनियों में अलग तौर पर कॉरपोरेट मंत्रालय में इस मामले की जांच को लेकर शिकायत भी किया है।
नए कमान मिलने के बाद कंपनी में की गई थी आंतरिक जांच
शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि इस साल फरवरी में विभिन्न बैंकों के साथ उनके व अन्य प्रोमोटर संस्थाओं द्वारा गिरवी रखे गए शेयरों के आह्वान के बाद सिंह भाइयों ने आरईएल और उसकी सब्सिडयरी कंपनियों पर अपना नियंत्रण पूरी तरह से खो दिया। शिकायत में प्रमुख तौर पर लिखा गया है, “नए बोर्ड के कार्यकाल शुरू होने के बाद उन्होंने यह जाना कि आरईएल व उसकी सहायक कंपनी बेहद ही खराब वित्तीय हालात में हैं और उन्होंने खराब वित्तीय हालात की समीक्षा की है। आंतरिक जांच से पता चला है कि बड़े स्तर पर कई अनसिक्योर्ड लोन को लेकर धोखाधड़ी किया गया है।”
आरबीआई ने दी थी चेतावनी
बाद में आरएफएल ने इसके बारे में SFIO , सेबी , RFL व अन्य सहायक कंपनियों के बारे में जानकारी दी। शिकायत में इस बात के बारे में भी जिक्र किया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ( rbi ) द्वारा अवगत कराने के बाद बावजूद भी जानबूझ कर सिहं भाइयों ने उचित कदम नहीं उठाया और वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम देते रहे। आरबीआई ने समय-समय पर आरएफएल के सीएलबी पोर्टफोलियो के बारे में चिंता जताया था, लेकिन इन चिंता को प्रोमोटर्स ने नजरअंदाज किया।
प्रोमोटर्स ने की थी चेतावनी
वित्तीय वर्ष 2010 की एक रिपोर्ट 6 जनवरी 2012 काे जारी की गर्इ थी जिसमें आरबीआर्इ ने कहा था कि आरएफएल अपने सरप्लस रकम का एक बड़ा हिस्सा अन्य सहायक कंपनियों को दे रही है। अामतौर पर इन फंड्स का इस्तेमाल सिक्योरिटीज में जमा करने के लिए किया जाता है। आरबीआर्इ ने यह भी कहा था कि लोन की मंजूरी, डिस्बर्सल रिपोर्ट, पिरियाॅडिक रिव्यू, आैर उधारकर्ताआें के आवेदन समेत कर्इ अहम जानकारियों के बारे में रिकाॅर्ड में कोर्इ जिक्र नहीं है। प्रोमोटर्स ने वादा तो किया की वे उचित कदम उठाएंगे, लेकिन उनकी लापरवाही के बाद आरएफल की वित्तीय हालात आैर खराब होती चली गर्इ। 3
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