एनसीएलटी में चल रहा है केस दरअसल आरकॉम ने स्वीडन की कंपनी एरिक्सन के साथ 2014 देशभर में टॉवर के मेंटीनेंस की 7 साल के लिए डील की थी। घटते रेवेन्यू के चलते एरिक्सन का आरकॉम पर करीब 978 करोड़ रुपए बकाया है, जो अब बढ़कर 1,600 करोड़ रुपए हो गया है। इसलिए ही आरकॉम के खिलाफ बैंकरप्सी के लिए स्वीडन के टैलीकॉम इक्विपमैंट मेकर एरिक्सन ने एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था। इसके खिलाफ आरकॉम सुप्रीम कोर्ट चली गई थी और अपनी संपत्तियां बेचने की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनसीएलटी ने आरकॉम को 30 सितंबर तक समझौते के तहत 550 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा था। साथ ही निर्देश दिया था कि यदि आरकॉम तय समय तक भुगतान करने असमर्थ रहती है तो उसकी ओर से किए गए सभी सौदे रद्द हो जाएंगे।
45,000 करोड़ रुपए के कर्ज से जूझ रही है आरकॉम कभी देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कम्पनी रही आरकॉम इस समय बुरी तरह से कर्ज के संकट से जूझ रही है। इस पर करीब 45,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। जियो की मार्कीट में एंट्री के बाद शुरू हुए कड़े कम्पीटीशन के सामने कम्पनी टिक नहीं पाई और इसे 2017 के आखिरी तक अपना वायरलैस बिजनैस बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आरकॉम अपने वायरलैस एसेट्स को मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस जियो को करीब 18000 करोड़ रुपए में बेच चुकी है। इसके अलावा आरकॉम अपनी अन्य संपत्तियों को भी बेच रही है। लेकिन एरिक्सन का बकाया भुगतान नहीं करने पर यह सभी सौदे लटक सकते हैं।