इस मामले में विधि मंत्रालय का ये भी कहना है की गैस के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने की सूचना सरकार को देने की जिम्मेदारी का रिलायंस ने उल्लंघन किया है। इसलिए ओएनजीसी मध्यस्थता अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है। दरअसल ओएनजीसी के गैस क्षेत्र से रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा कथित तौर पर गैस निकाल लिए जाने के मामले में सरकार द्वारा रिलायंस से 1.50 अरब डॉलर की मांग को मध्यस्थता अदालत ने खारिज कर दिया था।
देश की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी ओएनजीसी ने 2013 में रिलायंस इंडस्ट्रीज पर आरोप लगाया था कि उसने ओएनजीसी के गैस फील्ड के पास अपना गैस प्लांट लगाकर उसके गैस फील्ड से गैस चुराई है। जबकि रिलायंस का कहना था कि उन्होंने गैस ब्लॉक का काम पेट्रोलियम एंड गैस मिनिस्ट्री से अनुमति लेकर किया है। इसी मामले में ओएनजीसी ने रिलायंस से 1.50 अरब डॉलर की मांग की थी। जिसे मध्यस्थता अदालत ने खारिज कर दिया था।