किस कंपनी से बढ़ेगा कितना बोझ अकेले डीएचएफएल ( DHFL ) की बात करें तो DHFL के लिए बैंकों पर 25,000 करोड़ रुपये के सिस्टम लेवल प्रोविजनिंग का बोझ पड़ेगा। वही अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस होम फाइनेंस पर बैंकों का 5,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का एक्सपोजर है जबकि CCD में उनके 4,970 करोड़ रुपए और CG पावर में 4,000 करोड़ रुपए से ज्यादा लगे हुए हैं।
rbi ने पहले ही दी थी चेतावनी आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अभी हाल ही अर्थव्यवस्था में लंबे समय से बरकरार सुस्ती के बैड लोन बढ़ने की चेतावनी दी थी। आरबीआई ( RBI ) ने कहा था कि अगले नौ महीने में बैंकों के फंसे कर्ज (NPA) में और वृद्धि हो सकती है। जिसका असर साल के शुरुआत में ही लोन प्रोविजनिंग पर दिख रहा है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंकों का कुल खराब कर्ज (
NPA ) सितंबर 2019 के 12.7% से बढ़कर सितंबर 2020 में 13.2% पर पहुंच सकता है। निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए यह आंकड़ा 3.9% से बढ़कर 4.2% पर पहुंच सकता है।
यह है चिंता का कारण दरअसल चिंता का असली कारण बैंकरप्ट हो चुकी होम लोन कंपनी में फाइनैंशल सिस्टम का 87,000 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है लेकिन ज्यादातर बैंकों ने इसके लिए बमुश्किल 10-15% की प्रोविजनिंग की है। रिजर्व बैंक की तरफ से हाल में जारी स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडियन बैंकिंग सिस्टम अब तक मुश्किलों से नहीं उबर पाया है। आठ साल में पहली बैड लोन में सालाना गिरावट के बाद आने के बाद फिर से उसका पर्सेंटेज बढ़ सकता है।