वैश्विक ग्रोथ नोमूरा होल्डिंग्स इंक ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक ग्रोथ साल 2018 के 3.2 फीसदी से गिरकर साल 2019 में 2.8 फीसदी रह सकता है। इसमें सबसे अहम भूमिका चीन का को होगा आैर साथ ही अमरीकी आैर यूरोपिय क्षेत्रों का भी असर देखने को मिलेगा। साइकलिक इंप्लसेज कम होने की वजह से निर्यात, निर्माण क्षेत्र आैर निवेश साइकिल के भी कमजोर होने के आसार हैं।
मौद्रिक नीति पिछले साल दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के बाद साल 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक को कर्इ बातों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने होंगे। डिमांड में कमी आैर र्इंधन के दामों में गिरावट के बाद अनुमान है कि महंगार्इ दर भी अौसत स्तर पर बरकरार रहेगी। साल की पहली छमाही में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति सदस्य ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
चुनावी रिस्क आगामी लोकसभा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवार्इ वाली सरकार पर आर्थिक स्तर पर कर्इ तरह के दबाव हैं। सितंबर माह के बाद बीते तीन महीनों में ग्रोथ 8 प्लस से घटकर 7.1 फीसदी रह गया है। कहा जा रहा है कि फिलहाल सरकार तीन विकल्पों पर बात रही है। इसमें पहला किसानों के लिए नकदी, किसानों के कर्ज माफी प्रमुख हैं। इस चुनाव में पीएम मोदी की हार से नीतियों को बड़ा झटका लग सकता है वहीं दूसरी तरफ निवेशक भी इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।