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2019 में बुलंदियों पर होगी भारतीय अर्थव्यवस्था, UK को पछाड़ बन सकती है दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

साल 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दूसरे देशों से काफी तेज रहा है। साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2019 में आर्थिक रफ्तार के मामले में भारत यूनाइटेड किंगडम (यूके) को भी पीछे छोड़कर दुनिया का 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

नई दिल्लीJan 04, 2019 / 06:41 pm

Ashutosh Verma

economy

2019 में बुलंदियों पर होगी भारतीय अर्थव्यवस्था, UK को पछाड़ बन सकती है दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

नर्इ दिल्ली। साल 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दूसरे देशों से काफी तेज रहा है। साथ ही अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2019 में आर्थिक रफ्तार के मामले में भारत यूनाइटेड किंगडम (यूके) को भी पीछे छोड़कर दुनिया का 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। लेकिन, भारत के लिए यह राह आसान नहीं होने वाली है। मर्इ माह में आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजे भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा आैर दिशा तय कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाआें में के लिए बाजार व करंसी में उतार-चढ़ाव भी अहम भूमिका निभा सकता है। वहीं केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता आैर सरप्लस पूंजी को लेकर खड़े हुए सवालाें से निवेशकों का मोह भंग कर सकता है। आइए जानते हैं कि साल 2019 में भारतीय अर्थव्यवस्था में आखिर किन प्रमुख फैक्टर्स का असर सबसे अधिक देखने को मिलेगा।
वैश्विक ग्रोथ

नोमूरा होल्डिंग्स इंक ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक ग्रोथ साल 2018 के 3.2 फीसदी से गिरकर साल 2019 में 2.8 फीसदी रह सकता है। इसमें सबसे अहम भूमिका चीन का को होगा आैर साथ ही अमरीकी आैर यूरोपिय क्षेत्रों का भी असर देखने को मिलेगा। साइकलिक इंप्लसेज कम होने की वजह से निर्यात, निर्माण क्षेत्र आैर निवेश साइकिल के भी कमजोर होने के आसार हैं।
मौद्रिक नीति

पिछले साल दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के बाद साल 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक को कर्इ बातों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने होंगे। डिमांड में कमी आैर र्इंधन के दामों में गिरावट के बाद अनुमान है कि महंगार्इ दर भी अौसत स्तर पर बरकरार रहेगी। साल की पहली छमाही में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति सदस्य ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं।
चुनावी रिस्क

आगामी लोकसभा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवार्इ वाली सरकार पर आर्थिक स्तर पर कर्इ तरह के दबाव हैं। सितंबर माह के बाद बीते तीन महीनों में ग्रोथ 8 प्लस से घटकर 7.1 फीसदी रह गया है। कहा जा रहा है कि फिलहाल सरकार तीन विकल्पों पर बात रही है। इसमें पहला किसानों के लिए नकदी, किसानों के कर्ज माफी प्रमुख हैं। इस चुनाव में पीएम मोदी की हार से नीतियों को बड़ा झटका लग सकता है वहीं दूसरी तरफ निवेशक भी इस पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं।

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