इससे मुनाफा कमाना चाहती है। फिच रेटिंग्स की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस जियो अब मुनाफा कमाने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है।
सोमवार को जारी रिपोर्ट में फिच रेटिंग्स ने कहा, “अनुमान है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी रिलायंस जियो धीरे-धीरे अपनी टैरिफ को बढ़ाएगी, ताकि भरी पूंजी निवेश की भरपाई की जा सके।”
हालांकि, जियो के इस टैरिफ का असर अन्य कंपनियों पर नहीं पड़ेगा। मौजूदा समय में टेलिकॉम सेक्टर की तीन कंपनियों का ही बाजार में वर्चस्व है। इनमें भारती एयरटेल , रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया है।
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तेजी से बढ़े हैं जियो के सब्सक्राइबर्स
साल 2016 में लॉन्च के बाद से रिलायंस जियो अपनी प्रतिद्वंदी कंपनियों को कड़ी टक्कर देने लगा था। तीन साल बाद यानी 2019 के अंत तक उम्मीद जताई जा रही है कि रेवेन्यू मार्केट शेयर के मामले में जियो अब एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को पीछे छोड़ सकती है।
वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में कंपनी ने जबरदस्त तिमाही नतीजे दिये हैं। पहली तिमाही में जियो का रेवेन्यू ग्रोथ 44 फीसदी बढ़कर 1.7 अरब डॉलर हो गया है। एक तरफ जियो ने तेजी से अपने सब्सक्राइबर्स की संख्या में इजाफा किया है, वहीं दूसरी तरफ वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल के सब्सक्राइबर्स की संख्या में कमी आई है।
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क्यों टैरिफ बढ़ाएगी रिलायंस जियो ?
पूरी दुनिया की तुलना में भारतीय टेलिकॉम कंपनी की रेवेन्यू की बात करें तो यहां केवल 122 रुपये प्रति माह ही रेवेन्यू जेनरेट होता है। फिच की रिपोर्ट में कहा गया है, “भारतीय ग्राहक अपने मोबाइल सेवाओं के लिए अधिक खर्च का भार उठा सकते हैं।
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि औसतन मासिक यूजर डेटा का इस्तेमाल सितंबर 2016 के बाद 10 गुना बढ़ा है। लेकिन, औसतन इंडस्ट्री टैरिफ 50 फीसदी कम हो गया है। इसी दौरान जियो ने टेलिकॉम सेक्टर में कदम रखा था।”
टैरिफ में इजाफा होने के बाद भी डेटा डिमांड में कमी नहीं आने वाली है, क्योंकि सस्ता टैरिफ ही डेटा कंज्म्पशन का कारण नहीं है। सस्ते चीनी स्मार्टफोन की कीमतों की वजह से भी डेटा टैरिफ की मांग बढ़ी है।