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PNB स्कैम के बाद मेहुल चोकसी को लेकर एक और बड़ा खुलासा, अब 300 करोड़ के लैंड स्कैम में आया नाम

साल 2008 में मेहुल चोकसी ने पनवेल में जेम्स एंड ज्वेलरी स्पेशल इकोनाॅमिक जोन (एसर्इजेड) के लिए जमीन खरीदा था। इस जमीन के रिकाॅर्ड खंगलाने पर पता चलता है कि मेहुल चोकसी ने यह जमीन अपने व अन्य एसोसिएट्स के नाम पर खरीदा था।

नई दिल्लीFeb 06, 2019 / 03:14 pm

Ashutosh Verma

Mehul Choksi

PNB स्कैम के बाद मेहुल चोकसी को लेकर एक और बड़ा खुलासा, अब 300 करोड़ के लैंड स्कैम में आया नाम

नर्इ दिल्ली। भगौड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। साल 2008 में मेहुल चोकसी ने पनवेल में जेम्स एंड ज्वेलरी स्पेशल इकोनाॅमिक जोन (एसर्इजेड) के लिए जमीन खरीदा था। इस जमीन के रिकाॅर्ड खंगलाने पर पता चलता है कि मेहुल चोकसी ने यह जमीन अपने व अन्य एसोसिएट्स के नाम पर खरीदा था। नियमों के मुताबिक इस जमीन को व्यक्तिगत नाम पर नहीं बल्कि एसर्इजेड के लिए कंपनी के नाम पर खरीदा जाना चाहिए। इस जमीन में चोकसी की 25 फीसदी की हिस्सेदारी है जिसकी मौजूदा मार्केट प्राइस के मुताबिक कुल कीमत 300 करोड़ रुपए है।


25 एकड़ जमीन खरीदने के लिए गीतांजली जेम्स ने किया था आवेदन

महाराष्ट्र के पनवेल में ग्रीन जोन के अंतर्गत अाने वाले दो जीमनों की खरीदारी गीतांजली जेम्स लिमिटेड द्वारा खरीदा जाना था। इस मामले में अब पनवेल जिले के स्थानीय तहसीलदार जांच करने में जुटे हुए हैं। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2008 में गीतांजली जेम्ल लिमिटेड ने 25 एकड़ जमीन खरीदने के लिए आवेदन किया गया था। यह आवेदन चिरावत आैर संगुरली गांव में डेवलपमेंट कमिश्नर (इंडस्ट्रीज) मलिनी शंकर को किया गया थ। ये दोनों गांव ग्रीन जोन के अंतर्गत आते हैं।


तीन शर्ताें पर जमीन खरीदारी का दिया गया था अादेश

इस के लिए तीन शर्तों को ध्यान में रखते हुए आदेश दिया गया था। पहला, गीतांजली जेम्ल लिमिटेड को प्लानिंग डिपार्टमेंट आैर MMRDA से अनुमति लेनी थी ताकि वो आैद्योगित इस्तेमाल कर सकें। इसके लिए गीतांजली जेम्स लिमिटेड ने एफिडेविट भी दायर किया था। दूसरा, इस जमीन को दो सालों के अंदर ही खरीदारी करनी होगी। तीसरा, इस जमीन का आदेश के पांच सालों अंदर ही इंडस्ट्रीयल यूज शुरू कर देना होगा। यदि इन तीनों शर्तों को पूरा नहीं किया जाता है तो जमीन के मालिकों को इस बात का अधिकार होगा कि वो उस जमीन को फिर से वापस खरीद लें। इस जमीन को अभी भी मूल मालिकों को वापस नहीं किया गया है। 4 मर्इ 2017 को डेवलपमेंट कमिश्नर (इंडस्ट्रीज) ने खरीदारी आदेश को यह कहते हुए निरश्त कर दिया कि एसर्इजेड को दिए गए आदेश को सरकार ने खारिज कर दिया है। गीतांजलि दो बार डेवलपमेंट कमिश्नर के समक्ष इस केस को लेकर गर्इ है। सबमिशन के प्रोग्रस को लेकर ढुलमुल रवैया के बाद जमीन खरीदने आॅर्डर को निरश्त कर दिया गया है।
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