नई ऊंचाई पर पहुंचे पेट्रोल के दाम दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत नई ऊंचाई पर पहुंच कर 76.57 रुपए प्रति लीटर हो गई। जबकि इससे पहले यहां पेट्रोल की सबसे ऊंची कीमत साल 2103 में 14 सितंबर को 76.06 रुपए प्रति लीटर थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे मॉडल के अनुमानों से पता चलता है कि कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल (प्रति 159 लीटर) की बढ़ोतरी से आयात बिल में आठ अरब डॉलर की बढ़ोतरी होती है, जिससे जीडीपी में 16 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि होती है। इसके कारण राजकोषीय घाटे में आठ बीपीएस की, चालू खाता घाटा में 27 बीपीएस की और मुद्रास्फीति में 30 बीपीएस की वृद्धि होती है।
बीते वर्ष तेल आयात बिल में 22 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी देश में पेट्रोलियम उत्पादों विशेषकर पेट्रोल और डीजल की खपत के आधार पर यह अनुमान जताया गया है कि यदि कच्चे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़त होती है तो देश के आयात बिल में आठ अरब डॉलर की बढोतरी होती है। रिपोर्ट के अनुसार यदि पिछले वित्त वर्ष की बात की जाए तो तेल आयात बिल में 22 अरब डॉलर की बढोतरी हुई थी क्योंकि मार्च 2017 तक तेल 53 डॉलर प्रति बैरल पर था जो इस वर्ष मार्च में बढ़कर 70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। उसने कहा कि तेल की कीमतों में 17 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोत्तरी होने पर तेल आयात बिल 22 अरब डॉलर बढ़ा है। इस दौरान तेल खपत में भी बढोतरी हुयी है।
मार्च 2019 तक 90 डॉलर प्रति बैरल होगा कच्चा तेल एसबीआइ की रिपोर्ट में मार्च 2019 तक तेल की कीमतों के 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने का अनुमान जताते हुए कहा गया है कि वर्ष 2018-19 के लिए औसत कीमत 83.9 डॉलर प्रति बैरल होगी, जबकि वर्ष 2017-18 में यह 73.6 डॉलर प्रति बैरल रहा है। यदि इस वर्ष जून में इसकी कीमत 90 बैरल प्रति बैरल को पार कर जाएगी तो मार्च 2019 तक यह 100 बैरल प्रति डॉलर पर पहुंच सकती है। इस तरह से मार्च 2019 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में तेल की औसत कीमत 93 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है। इससे जीडीपी में 31 आधार अंक की कमी आएगी, जबकि महंगाई 58 आधार अंक और वित्तीय घाटा 40 आधार अंक बढ़ जाएगा।