शीतयुद्ध में की जासूसी
ब्रिटेन के इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल रिमेम्ब्रेंस (IPN) के जांचककर्ताओं के अनुसार इस जासूस का पूरा नाम जेम्स अल्बर्ट बॉन्ड था। जेम्स फरवरी 18, 1964 को वॉरशा में ब्रिटिश सेक्रेटरी-आर्काइविस्ट की हैसियत से आए थे और उन्हें दूतावास में सेना (Army Attache) के साथ जोड़ा गया था। इससे पहले वो पोलैंड में 1964-65 के दौरान शीतयुद्ध में भी ब्रिटिश शाही परिवार और देश सेवा के तहत एक ब्रिटिश सीक्रेट एजेंट (Secret Service Agent MI6) के रूप में भी जासूसी कर चुके थे।
हकीकत में भी रंगीन मिजाज थे
फिल्मों में जेम्स बॉन्ड की छवि एक तेज तर्रार जासूस की है जिसे नए गैजेट्स और औरतों से प्यार है। हकीकत में भी जेम्स अल्बर्ट बॉन्ड कुछ-कुछ ऐसे ही थे। वो बहुत यात्राएं करते थे और अपने कार्यकाल में दर्जनों देशों में एक ब्रिटिश सीक्रेट एजेंट के तौर पर जासूसी करते रहे। हकीकत में जेम्स को पोलेंड की बीयर बहुत पसंद थी। शीतयुद्ध के दौरान उन्होंने पोलैंड में रहते हुए सोवियत सैटेलाइट स्टेट, सेना की खुफिया जानकारी और दस्तावेजों की जासूसी की। उन पर हर समय कड़ी निगरानी रहती थी। उन्हें पोलिश नागरिकों से संपर्क करने की इजाजत नहीं थी ताकि उनका भेद न खुल जाए।
इयान फ्लेमिंग ने रचा था किरदार
जिस काल्पनिक ब्रिटिश एजेंट 007 जेम्स बॉन्ड को हम फिल्मी पर्दे पर मारधाड़ करते हुए देखते हैं उसे 1962 में लेखक इयान फ्लेमिंग ने रचा था। जेम्स बॉन्ड सीरीज की पहली फिल्म डॉक्टर नो थी जिसमें हॉलीवुड एक्टर सीन कॉनेरी (Sean Connarey) ने पहली बार पर्दे पर एजेंट 007 को जिया था। ब्रिटिश जासूस उस दौर में पोलिश लोगों का इस बात को लेकर मजाक भी उड़ाते थे कि उनके एक जासूस को वो पर्दे पर देखकर तालियां बजाते हैं जबकि वो उनके बीच रहकर उन्हीं की जासूसी कर रहा है।
जेम्स बॉन्ड से जुड़े कुछ तथ्य
-1962 में डॉ. नो थी पहली फिल्म
-25 फिल्में आ चुकी हैं इस सीरीज की अब तक
-2021 में रिलीज होगी सीरीज की 26वीं फिल्म
-44 फीसदी दर्शकों ने सीन कॉनेरी को पसंदीदा बॉन्ड बताया
-12 एक्टर्स निभा चुके हैं अब तक बॉन्ड का किरदार पर्दे पर
-58 साल हो चुके हैं बॉन्ड सीरीज को
-12वें बॉन्ड डैनियल क्रेग के बाद टॉम हार्डी हो सकते हैं नए बॉन्ड