बताया जा रहा है कि नई गाइडलाइन के तहत सरकार एक लिस्ट जारी जारी करेगी, जिसमें देश के टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क में यूज के लिए भरोसेमंद सोर्स और प्रोडक्ट की लिस्ट होगी। हालांकि इसका फैसला डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (DNSA) की अध्यक्षता वाली समिति की मंजूरी पर निर्भर करेगा कि इस इस लिस्ट में किन प्रोडक्ट्स को शामिल किया जाएगा। इस समिति में संबंधित विभागों और मंत्रालयों के सदस्य शामिल होंगे। इसके अलावा इस समिति में इंडिपेंडेंट स्पेशलिस्ट और इंडस्ट्री से जुड़े दो सदस्य भी होंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, टेलीकॉम लाइसेंस की नई गाइडलाइन्स से टेलीकॉम ऑपरेटरों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। बताया जा रहा है कि नेटवर्क में पहले से लगे डिवाइसेज को हटाने की जरूरत नहीं होगी, वे पहले की तरह ही काम करते रहेंगे। इसके अलावा नई गाइडलाइन से वार्षिक मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट पर भी असर नहीं पड़ेगा।
बता दें कि सरकार ने चीनी कंपनियों से डिवाइस की खरीद पर सीधे तौर पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। हालांकि सरकार ने जनरल फाइनेंसियल रूल (GFR) 2017 में संशोधन किया है। इस संशोधन के तहत भारत के साथ जमीनी सीमा वाले देशों की कंपनियों के बोली लगाने पर अंकुश है। इसके साथ ही डायरेक्ट और इनडायरेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों से जुड़े मामलों में भी ऐसे बिडर्स पर रोक है।
बताया जा रहा है कि कि टेलीकॉम विभाग लाइसेंस शर्तों में राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश से संबंधित दिशानिर्देशों को शामिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आने वाले हफ्तों में नई गाइडलाइन की घोषणा की जा सकती है। बता दें कि चीनी टेलीकॉम उपकरण निर्माता Huawei का कनाडा और अमरीकी सरकारों के साथ विवाद चल रहा है। अमरीका का आरोप है कि हुवावे साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी लॉ का फॉलो नहीं कर रही है, जिससे देश और नागरिकों की जासूसी का खतरा है।