-अमरीका 2023-24 तक तीन चरणों में ऑटोनोमस- मालवाहक नेटवर्क बनाएगा। यह दुनिया का पहला ऑटोनोमस फ्राइट नेटवर्क (एएफएन) होगा। इसमें स्वाचालित मालवाहक ट्रक, डिजिटल मैप आधारित रूट और विशेष रूप से तैयार टर्मिनल होंगे जो स्वायत्त संचालन निगरानी प्रणाली से जुड़े होंगे।
-वर्जिन गैलेक्टिक ने हाल ही अपने दो सीटर स्पेस शिप के केबिन इंटीरियर को पेश किया। इसके निजी सीट बैक में फ्लाइट से जुड़ा डेटा और 16 कैमरों से अंतरिक्ष का नजारा लेने के लिए एचडी फुटेज सीट डिस्प्ले पर नजर आएगी। केबिन विंडो को इस तरह बनाया है कि गुरुत्वाकर्षण न होने पर हवा में तैरते हुए भी लोग सुरक्षित रहें। इसमें सीट के साथ ही अत्याधुनिक संचार व्यवस्था है। वर्जिन गैलेक्टिक के इस स्पेस शिप में स्पेस में ट्रैवल करने के लिए एक सीट बुक करने का खर्चा करीब 2.50 लाख डॉलर खर्च करने पड़ सकते हैं। कंपनी 2021 तक ऐसे दो स्पेसशिप बनाने का लक्ष्य रखा है जिसे 2023 तक 5 स्पेसशिप में बदला जाएगा। अब तक 9 हजार लोग अपनी सीट बुक करवा चुके हैं। स्विस इन्वेस्टमेंट बैंक यूबीएस का अनुमान है कि साल 2030 तक स्पेस ट्रैवल का बाजार करीब ३ अरब डॉलर का होगा।
-वर्जिन गैलेक्टिक ने हाल ही अपने माक-३ एयरक्राफ्ट का डिजाइन भी प्रस्तुत किया है। कंपनी का दावा है कि अभी अपने पहले चरण में पहुंचा यह जहाज अधिकतम 3700 किमी प्रतिघंटा (माक-3) की रफ्तार से उडऩे में सक्षम होगा। यह ब्रिटेन-फ्रांस के बनाए और ध्वनि की गति से भी दोगुना तेज कॉनकॉर्ड सपुरसॉॅनिक जेट से भी 50 फीसदी ज्यादा तेज होगा।
-ऑस्ट्रेलिया में एआइ कैमरा का इस्तेमाल ऐसे लोगों को पकडऩे के लिए किया जा रहा है जो ड्राइव करते समय मोबाइल पर बात करते हैं। अकेले 2019 में ही इस तकनीक से 1 लाख से ज्यादा लोगों का मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाने के चलते चालान किया गया था। ऐसा करने वाला ऑस्ट्रेलिया दुनिया पहला देश भी है।
-जैगुआर लैंड रोवर कार में जल्द ही ऐसी एआइ तकनीक उपयोग की जाने लगेगी जो ड्राइवर और पैसेंजर के चेहरे के हावा-भाव को पहचानने का काम करेगी। और उनके मूड और मिजाज के अनुसार कार की सेटिंग्स को बदल देगी। इसमें लाइट सिस्टम, संगीत, एसी और ऐसे ही दूसरे फीचर शामिल होंगे।
-चीन में शंघाई इवोल्यूशन कंपनी ने ऐसी रोबोटिक तकनीक विकसित की है जो किसी भी बिल्डिंग को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा सकती है। इसे वहां वॉकिंग बिल्डिंग्स भी कहा जा रहा है। 200 के करीब रोबोटिक उपकरणों को बिल्डिंग के नीचे लगा दिया जाता है जो इसके पांव की तरह काम करते हैं। इसके बाद 7600 टन वजनी बिल्डिंग को भी आसानी से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है। इस तकनीक की मदद से वे 18दिनों में अब तक 21 डिग्री के एंगल पर एक स्कूल की बिल्डिंग को करीब 203 फीट या 62 मीटर तक सरका चुके हैं।
-पहिए में फिट हो जाने वाला एक नया उपकरण ‘टायर डस्ट’ सड़क पर पहियों के घर्षण से उत्पन्न बेहद बारीक माइक्रो प्लास्टिक कार्बन को एकत्र करता है। पीएम 2.5 से भी सूक्ष्म इन कणों को एकत्र कर यह डिवाइस इसे हमारे फेफड़ों और श्वांस नली में जाने से रोकता है।