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अपनी कैलिग्राफी कला से दुनिया की सबसे पुरानी लिपी में शुमार भाषा लिपि को कर रहीं संरक्षित

काओरु आकागावा जापान की युवा कैलिग्राफी आर्टिस्ट हैं।

जयपुरMar 26, 2020 / 01:50 am

Mohmad Imran

अपनी कैलिग्राफी कला से दुनिया  सबसे पुरानी में शुमार लिपि को कर रहीं संरक्षित

अपनी कैलिग्राफी कला से दुनिया सबसे पुरानी में शुमार लिपि को कर रहीं संरक्षित

आकागावा की दादी भी खास महिलाओं द्वारा बनाई और महिलाओं द्वारा ही उपयोग की जाने वाली एक लुप्त हो चुकी जापानी लिपी ‘काना स्क्रिप्ट’ का उपयोग करने वाली अंतिम पीढ़ी की कैलिग्राफरों में से एक थीं। इसे 9वीं शताब्दी में एक महंत और संस्कृत की विद्वान महिला कैलिग्राफर कुकाई ने विकसित किया था। काना लिपी के वर्ण ही काना शोडो का आधार हैं जो जापानी भाषा के अक्षरों की ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि इसे महिलाओं ने अलग-अलग सदी में विकसित किया लेकिन इसका उपयोग महिला-पुरुष दोनों ही करते हैं। यह महिलाओं की अपनी भाषा थी जिसके माध्यम से वह खुद को अभिव्यक्त करती थीं। साथ ही अपने अनुभवों को साहित्य और संस्मरणों के रूप में संकलित भी कर सकती थीं।
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दुनिया का पहला नॉवेल भी
ऐसा माना जाता है कि दुनिया का सबसे पहला नॉवेल भी इसी लिपी में लिखा गया था। ग्यारहवीं सदी में लिखी गई पटकथा ‘द टेल ऑफ गेंजी’ को दुनिया का संभवत: पहला नॉवेल मानते हैं जिसे जापानी लेखिका मुरासाकी शिकिबू ने लिखा था। इस नॉवेल का एक खोया हुआ पन्ना 2019 में खोजा गया था। इस लिपी का इस्तेमाल 20वीं शताब्दी तक जापान में किया जाता था। लेकिन जब जापान सरकार ने भाषा के स्तर में सुधार किया तो उन्होंने 300 काना वर्णों में से केवल 46 वर्णों को ही नई भाषा में स्थान दिया।
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स्क्रिप्ट का संरक्षण
अकागावा इस प्राचीन महिला लिपी को संरक्षित करने का काम कर रही हैं। उन्होंने काना शोडो को नई तकनीक के साथ मिलाकर एक नई कला विकसित की है जिसे वे ‘काना आर्ट’ कहती हैं। उन्होंने सदियों पुरानी काना वर्णों से विशाल चित्रनुमा आर्ट बनाए हैं जो कला के साथ ही साहित्य को संजोने का काम भी कर रहे हैं। इ न्हें बनाने में अकागावा को महीनों लग जाते हैं। अकागावा बताती हैं कि जापान में उस समय महिलाओं को पढऩे-लिखने और सरकारी कामकाज में शामिल नहीं होने दिया जाता था। लेकिन कुछ उदारवादी पुरुषों ने अपनी बेटियों को भी पढ़ाया। लेकिन क्योंकि उन्हें इसे गुप्त रखना था इसलिए उन्होंने अपनी खुद की भाषा विकसित की।
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महिला साहित्यकारों की भाषा बन गई

काना कैलिग्राफी दरअसल कांजी कैलिग्राफी से प्रेरित है। 10वीं सदी के आखिर में महिलाएं अपने अधिकारों, व्यक्तिगत आजादी, उपयोग की वस्तु से इतर खुद को बुद्धीजीवियों के रूप में स्थापित करने के लिए करती थीं। इस लिपी के विकसित होने से पहले जापान में सारे कवि पुरुष ही थे लेकिन इस लिपी के बाद महिलाओं ने साहित्य के हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया। 21 महिला कवियित्रियों ने 7वीं सदी से 13वीं सदी के बीच हर तरह के साहित्य में काना स्क्रिप्ट का उपयोग किया। आज भी जापान के सबसे बेहतरीन बुद्धिजीवियों में 21 फीसदी महिला साहित्यकार ही हैं जिन्होंने काना में ही अपना साहित्य लिखा था।
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कौन हैं अकागवा

47 साल की अकागावा जापान की सबसे युवा काना लिपी विशेषज्ञ और कैलिग्राफर भी हैं। वे दो दशकों से इसका अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने जर्मन ओपेरा को जापानी भाषा में अनूदित करने के बाद इसे भी काना कैलिग्राफी में एक आर्ट फॉर्म का रूप दिया है। काना शोडो को परंपरागत कैलिग्राफर्स जापान की मूल भाषा नहीं मानते।
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