ऐसा माना जाता है कि दुनिया का सबसे पहला नॉवेल भी इसी लिपी में लिखा गया था। ग्यारहवीं सदी में लिखी गई पटकथा ‘द टेल ऑफ गेंजी’ को दुनिया का संभवत: पहला नॉवेल मानते हैं जिसे जापानी लेखिका मुरासाकी शिकिबू ने लिखा था। इस नॉवेल का एक खोया हुआ पन्ना 2019 में खोजा गया था। इस लिपी का इस्तेमाल 20वीं शताब्दी तक जापान में किया जाता था। लेकिन जब जापान सरकार ने भाषा के स्तर में सुधार किया तो उन्होंने 300 काना वर्णों में से केवल 46 वर्णों को ही नई भाषा में स्थान दिया।
अकागावा इस प्राचीन महिला लिपी को संरक्षित करने का काम कर रही हैं। उन्होंने काना शोडो को नई तकनीक के साथ मिलाकर एक नई कला विकसित की है जिसे वे ‘काना आर्ट’ कहती हैं। उन्होंने सदियों पुरानी काना वर्णों से विशाल चित्रनुमा आर्ट बनाए हैं जो कला के साथ ही साहित्य को संजोने का काम भी कर रहे हैं। इ न्हें बनाने में अकागावा को महीनों लग जाते हैं। अकागावा बताती हैं कि जापान में उस समय महिलाओं को पढऩे-लिखने और सरकारी कामकाज में शामिल नहीं होने दिया जाता था। लेकिन कुछ उदारवादी पुरुषों ने अपनी बेटियों को भी पढ़ाया। लेकिन क्योंकि उन्हें इसे गुप्त रखना था इसलिए उन्होंने अपनी खुद की भाषा विकसित की।