हॉर्मोनल हैल्थ
स्त्रियों में मासिक चक्र के साथ हॉर्मोन्स का उतार-चढ़ाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हॉर्मोन्स का असंतुलन इनफर्टिलिटी या पीसीओएस का आधारभूत कारण होता है।
पेट की तकलीफें जैसे कब्ज, एसिडिटी, गैस, अपच अधिक तला-भुना व चटपटा खाने से होती हैं। महिलाओं में आए दिन किए जाने वाले व्रत-उपवास भी कहीं-न-कहीं उनके मेटाबॉल्जिम को प्रभावित करते हैं।
उपाय- भोजन में शुद्ध, सात्विक व कुदरती खाद्य पदार्थों का समावेश उसे गुणकारी तथा पाचक बनाता है। दही से खमीरीकृत भोज्य पदार्थों का सेवन जैसे इडली, खमण, महेरी, खीच आदि फायदेमंद है।
डेंटल हैल्थ
अधिकांश महिलाएं अपने होठों पर तो ध्यान देती हैं, किंतु दांतों व मसूढ़ों पर नहीं! पायरिया, मुंह की दुर्गंध व दाढ़-दर्द से बचने के लिए दिन के अलावा रात को भी ब्रश करना उचित है।
उपाय- पर्याप्त पानी पीना कुदरती माउथवॉश का काम करता है। मसूढ़ों की देखभाल के लिए आंवला, नींबू, संतरा, मौसंबी, आलू-बुखारा, किन्नू का सेवन करें। जीभ पर छाने वाली कोटिंग को बिल्कुल नजरअंदाज न करें।
बोन हैल्थ
बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों के घनत्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बार-बार गर्भ धारण से कैल्शियम व विटामिन डी की कमी होना स्वाभाविक है। 40 वर्ष की आयु से बोन हैल्थ पर ध्यान दें।
उपाय- सुबह नौ से 11 बजे के बीच धूप में बैठें। दूध, पनीर का सेवन करें। मेनोपॉज के बाद महिलाओं को सोयाबीन, करी पत्ता, अलसी के बीज को भोजन में ज्यादा शामिल करना चाहिए।