Lack of privacy : हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के सामने एक चुनौती है वो है प्राइवेसी। हमारी प्राइवेसी हमारे मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है।इसके ना होने से हमें स्ट्रेस होने लगता है। हॉस्टल में बच्चों को अक्सर दूसरे कुछ बच्चों के साथ रूम शेयर कर्र्ना पड़ सकता है। अपने रूम पार्टनर के साथ कम्फर्टेबले होने में बच्चों को वक़्त लगता है। ऐसे में उनके साथ रूम, बाथरूम और अपने सामान शेयर करना आसान नहीं होता। कई बार बच्चे अपनी फैमिली से ठीक तरह से बात नहीं कर पाते हैं क्यों की हर दम कोई न कोई आस पास रहता है।
Poor living conditions : घर पर रह रहे बच्चे आमतौर पर साफ माहौल में रहते हैं और हेल्दी खाना खाते हैं। उनकी फॅमिली में उनकी देखभाल सही तरह से होती है। वही बच्चे जब हॉस्टल जाते हैं तो उनको अपनी और अपने रूम की सफाई का ध्यान खुद रखना पड़ता है। ऐसे में जब साफ सफाई सही ना हो, बाथरूम गंदे हों, खाना अच्छा या हेल्थी ना मिले और पीने का पानी भी स्वच्छ ना हो तो ये सभी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हेल्थी फ़ूड ना मिलने के कारण बच्चे मालनुट्रिशन का शिकार हो सकते हैं।