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Hostel Life : बच्चों को हॉस्टल भेजने से पहले इन बातों का जरूर रखें ख्याल

Problems children face during hostel life : आगे पढ़ने के लिए या फिर नयी जॉब लगने पर अक्सर बच्चों को एक नए शहर में जा कर रहना पड़ता है। ऐसे में बच्चे की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए हम उन्हें हॉस्टल में रखना पसंद करते हैं। इस दौरान उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं उन प्रोब्लेम्स के बारे में जिनका सामना हॉस्टल लाइफ में बच्चों को करना पड़ता है।

Jun 11, 2023 / 12:12 pm

Namita Kalla

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Crucial factors to consider before sending your child to a hostel…

Before you send your child to a hostel : हॉस्टल में रहना हर किसी के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है खासकर यह उन बच्चों के लिए कठिन हो सकता है जो पहली बार अपने परिवार से दूर जा रहे हैं। अपने बच्चों को दूसरे शहर में पढ़ने के लिए भेजने से पहले आवश्यक है कि आप यह जानकारी पूरी रखें की जिस हॉस्टल में वे रहने वाले हैं वहां क्या बच्चों के लिए वहां जरूरी सुविधाएं, स्वच्छ माहौल, मारल सपोर्ट और स्पोर्ट्स और एंटरटेनमेंट एक्टिविटीज हैं या नहीं। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बच्चों को हॉस्टल में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं उन प्रोब्लेम्स के बारे में जिनका सामना हॉस्टल लाइफ में बच्चों को करना पड़ता है।

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Homesickness : हॉस्टल में रहने वाले बच्चों की सबसे बड़ी समस्या होम सिकनेस है। परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से घिरे हुए माहौल से दूर होने के कारण उन्हें अकेलापन और अलग-थलग महसूस हो सकता है। ऐसे में अगर कोई पेरेंट्स अपने बच्चों को इमोशनल सपोर्ट नहीं देते हैं तो यह भी उन बच्चों के लिए एक चैलेंज बन सकता है। ऐसे में बच्चे, जो एक तरफ नए माहौल एडजस्ट होने की कोशिश कर रहे हैं, बिना पेरेंट्स के मोरल सपोर्ट के नेगेटिव विचारों में घिरे रहते हैं और खुद को इमोशनली वीक बना लेते हैं।

Face Bullying : एक और प्रॉब्लम है जिसका सामना हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को करना पड़ता है वह है बुलीइंग, यानी डराना-धमकाना। हॉस्टल में आमतौर पर अलग-अलग शहरों से बच्चे आते हैं। शहर अलग होने के साथ ही उनकी परवरिश, वैल्यू और रहने बोलने के तौर तरीके भी अलग होते हैं । इसी के साथ कुछ बच्चे एक्सट्रोवर्ट तो कुछ इंट्रोवर्ट और अम्बीवर्ट होते हैं। ऐसे में बच्चों का आपस में घुलना मिलना आसान नहीं होता है। कुछ बच्चे दूसरों पर हावी हो जाते है और डरे हुए बच्चों के आत्मविश्वास (self confidence) को ठेस पहुंच सकती है और वे कमजोर और पॉवरलेस महसूस कर सकते हैं।

Making friends : इसके अलावा हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को दोस्त बनाने में कठिनाई हो सकती है। यही कारण है की वे आसानी से सोशल एक्टिविटीज का हिस्सा नहीं बन सकते हैं। पेरेंट्स से दूरी और पास में कोई दोस्त भी नहीं हो तो बच्चों को मेन्टल स्ट्रेस होना स्वाभाविक है। बच्चे कल्चर, जियोग्राफी और लाइफस्टाइल अलग अलग होने की वजह से आसानी से दोस्त नहीं बना पाते हैं। ऐसे में वे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं।

Lack of privacy
: हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के सामने एक चुनौती है वो है प्राइवेसी। हमारी प्राइवेसी हमारे मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है।इसके ना होने से हमें स्ट्रेस होने लगता है। हॉस्टल में बच्चों को अक्सर दूसरे कुछ बच्चों के साथ रूम शेयर कर्र्ना पड़ सकता है। अपने रूम पार्टनर के साथ कम्फर्टेबले होने में बच्चों को वक़्त लगता है। ऐसे में उनके साथ रूम, बाथरूम और अपने सामान शेयर करना आसान नहीं होता। कई बार बच्चे अपनी फैमिली से ठीक तरह से बात नहीं कर पाते हैं क्यों की हर दम कोई न कोई आस पास रहता है।

Poor living conditions : घर पर रह रहे बच्चे आमतौर पर साफ माहौल में रहते हैं और हेल्दी खाना खाते हैं। उनकी फॅमिली में उनकी देखभाल सही तरह से होती है। वही बच्चे जब हॉस्टल जाते हैं तो उनको अपनी और अपने रूम की सफाई का ध्यान खुद रखना पड़ता है। ऐसे में जब साफ सफाई सही ना हो, बाथरूम गंदे हों, खाना अच्छा या हेल्थी ना मिले और पीने का पानी भी स्वच्छ ना हो तो ये सभी कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। हेल्थी फ़ूड ना मिलने के कारण बच्चे मालनुट्रिशन का शिकार हो सकते हैं।

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